आज 29 मई दिन गुरुवार को रंभा तीज का व्रत रखा जाएगा। बता दें कि हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तीज मनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवी रंभा, लक्ष्मी माता, पार्वती माता और भगवान शिव की पूजा करने से सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख मिलता है। इतना ही नहीं, जो कुंवारी कन्याएं रंभा तीज का व्रत रखती हैं, उन्हें मनचाहा वर मिलता है और उनका वैवाहिक जीवन भी सुख से बीतता रहता है। रंभा तीज पर आज कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जिससे वृषभ, तुला और कुंभ राशि के लिए आज का दिन लकी रहने वाला है।
रंभा तीज शुभ मुहूर्त (Rambha Teej Vrat 2025 Shubh Muhurat)
ये कंफ्यूजन तो दूर हो गया की रंभा तीज यानी कि 29 मई को मनाई जाएगी। अब बात करें शुभ महूर्त की तो ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:03 बजे से 4:44 बजे तक है, जिसमें व्रती महिलाएं पवित्र नदी में स्नान और दान जैसे पुन्य कर्म कर सकती हैं। इसके अलावा, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:51 मिनट से 12:46 मिनट तक रहेगा, जिसमें रंभा तीज की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।
रंभा तीज पूजा विधि (Rambha Teej Puja Vidhi)
- रंभा तीज पर व्रत रखने वाली महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान ध्यान करें।
- अब पूजा की चौकी लगाकर उसपर लाल वस्त्र बिछा दें।
- इसके बाद रंभा देवी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
- गणेश जी का ध्यान करें और देवी रंभा के चित्र के सामने घी का दीया जलाएं।
- देवी रंभा को मौसमी फल, लाल फूल आदि का भोग अर्पित करें।
- देवी रंभा को काली चूड़ियां, पायल के साथ ही, आलता, इत्र जैसे सोलह शृंगारकी सामग्री अर्पित करें।
- खुद भी सोलह श्रृंगार करें और व्रत का संकल्प करें।
रंभा तीज कथा – Rambha Teej Vrat Katha
रंभा तीज की कथा दिव्य और अलौकिक समय से जुड़ा हुआ है। जब देवता और असुर समुद्र का मंथन कर रहे थे, तो समुद्र से 14 रत्न निकले इन्हीं अद्भुत रत्नों में से अप्सरा रंभा थीं। रंभा को अप्सराओं की रानी कहा जाता था जो अति सुंदर, मधुर वाणी वाली, नृत्य-कला में दक्ष, आकर्षक और मोहक स्वभाव वाली थीं। रंभा की सुंदरता के कारण देवता और असुरों ने उन्हें अपने-अपने पक्ष में करने की कोशिश की, लेकिन रंभा ने किसी को भी नहीं चुना। रंभा ने स्पष्ट कहा कि वो किसी संपत्ति नहीं, वो उसी पथ पर चलेंगी जो धर्म और सत्य का हो, वो पथ जो आत्मसम्मान से जुड़ा हो, तब से भा तीनों लोकों में नारी-स्वाभिमान की मिसाल बन गई और तभी से रंभा तीज का पर्व नारी-सम्मान, वैवाहिक सौभाग्य और आत्मबल की प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।