वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय के कान, नाक, गला विभाग को नई उपलब्धि मिली है। ईएनटी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक प्रोफ़ेसर राजेश कुमार और उनकी टीम ने मिलकर एक दो साल के बच्चे का सफलतापूर्वक कॉक्लियर इम्प्लांट किया । यह बच्चा चार्ज सिंड्रोम से ग्रसित है। प्रोफ़ेसर राजेश कुमार ने बताया कि इस बीमारी में बच्चा जन्मजात सुन और बोल नहीं सकता क्योंकि उसके अंदरूनी कान (श्रवण संरचना) का विकास ही नहीं होता। उन्होंने बताया कि चार्ज सिंड्रोम में सी —कोलोबोमा (आँखों में जन्मजात छेद या दोष),एच —हृदय दोष (जैसे जन्मजात दिल की बीमारियाँ),ए —कोआनेल एट्रेसिया (नाक के पीछे की नली का बंद होना),आर—विकास और बौद्धिक वृद्धि में देरी,जी— जननांग संबंधी असामान्यताएँ,ई—कान की बनावट में गड़बड़ी या सुनने में कमी है। उन्होंने बताया कि इनमें से कई समस्याओं का इलाज ऑपरेशन के ज़रिए संभव है। इस बच्चे के कान का ऑपरेशन करके कॉक्लियर इम्प्लांट लगा दिया गया है। अब यह बच्चा 24 घंटे में बाहरी मशीन के माध्यम से आवाज़ सुन सकेगा और आगे चलकर श्रवण प्रशिक्षण के ज़रिए बोलना भी सीख पाएगा। शेष बीमारियों का इलाज भविष्य में किया जाएगा। प्रोफ़ेसर राजेश कुमार ने बताया कि ऐसे बच्चे जो जन्मजात सुन और बोल नहीं पाते, या जीवन के किसी भी चरण में किसी कारणवश सुनने की क्षमता खो देते हैं, उनके लिए कॉक्लियर इम्प्लांट एक बेहतर विकल्प है।