नई दिल्ली : केन्द्र सरकार ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों एवं फसलों के हिसाब से अलग-अलग अनुसंधान आधारित कार्ययोजनाएं बनाने की जरूरत पर बल दिया है़ तथा खराब गुणवत्ता के बीज और खाद की समस्या से निपटने के लिए जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाने की बात कही है ।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की 96वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस बात पर बल दिया। इस बैठक में केन्द्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों के 18 से ज्यादा मंत्री उपस्थित थे।
इस मौके पर केेंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि राज्यों का विषय है, राज्य सरकारों के सहयोग के बिना कृषि की उन्नति के प्रयास अधूरे हैं। केंद्र और राज्यों को मिलकर कृषि क्षेत्र के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के आधार पर उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में पिछले वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। एक समय था जब हमें निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं अमेरिका से आयात करके खाना पड़ता था। भारत के बारे में यह छवि थी कि हम कभी खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं बन सकते, लेकिन आज यह छवि और मिथक पूरी तरह से धूमिल हो गया है। खाद्यान्न के मामले में भारत रिकॉर्ड कायम कर रहा है। अन्न के भंडार भर रहे हैं। खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है। आज हम कृषि उत्पाद निर्यात कर रहे हैं।
चौहान ने कहा कि हमारी उपलब्धियां अभिनंदनीय हैं। जिसके लिए सभी वैज्ञानिकों और आईसीएआर की टीम को बधाई दी, लेकिन उपलब्धियों के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी हैं, जिस दिशा में भी हमें काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में जो सुझाव और मुद्दे उभर कर आएं हैं, उसी के आधार पर आगे का मार्ग प्रशस्त होगा। राज्य के हिसाब से भावी अनुसंधान के रास्ते तय करने होंगे। मांग आधारित अनुसंधान की जरूरत है। मात्र कागजी औपचारिकता के लिए अनुसंधान नहीं बल्कि किसानों की उपयोगिता को देखते हुए अनुसंधान किए जाने चाहिए।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन में अभी और अधिक शोध एवं काम की जरुरत है। गेहूं, चावल, मक्के के साथ-साथ दलहन, तिलहन एवं अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि को लेकर तेजी से प्रयास करने होंगे। इसके लिए राज्यवार एवं फसलवार कार्ययोजना बनाई जाएगी। श्री चौहान ने कहा कि जब उन्होंने मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का निरीक्षण किया तो वहांं खराब बीज की गंभीर समस्या देखने को मिली। खराब बीज के कारण अकुंरण ही नहीं हो पाया था। इसको लेकर त्वरित जांच के आदेश दिए गए हैं। अमानक बीज, खाद और उर्वरक बेहद गंभीर विषय है, जिसे लेकर भी सरकार जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाएगी। उर्वरकों के एमआरपी पर भी काम करने की जरूरत है। उर्वरक की सही कीमत तय होनी जरूरी है।
इस बैठक में कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री एस. पी. बघेल, मत्स्य पालन, पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन, अरुणाचल के कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन, बागवानी मंत्री ग्रेबियल डी. वांगसू, बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा, बिहार की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेनू देवी, मध्य प्रदेश के बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा, मिजोरम के कृषि मंत्री पीसी वनलालरुआता, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण व पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा, उत्तर प्रदेश के पशुपालन व डेयरी विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, कर्नाटक के कृषि मंत्री एन. चेलुवरिया स्वामी, उत्तर प्रदेश के कृषि, शिक्षा, कृषि अनुसंधान मंत्री सूर्यप्रताप शाही, ओडिशा के मत्स्य व पशु संसाधन विकास विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गोकुलानंद मलिक, मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री अदल सिंह कंसाना, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिराव कोकाटे एवं केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी उपस्थित थे।