ऊर्जा शिक्षा को लेकर दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत : धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऊर्जा शिक्षा को लेकर दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, बावजूद इसके देश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत अभी भी वैश्विक औसत का केवल एक तिहाई है।

प्रधान बुधवार को भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में ‘भविष्य के लिए तैयार ऊर्जा शिक्षा : अवसर और चुनौतियां’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में देश के शीर्ष 100 एनआईआरएफ रैंकिंग वाले संस्थानों और ऊर्जा क्षेत्र पर केंद्रित अन्य संस्थानों को आमंत्रित किया गया था।

उन्होंने कहा कि भारत को 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ना है, ऐसे में एक ऐसी स्मार्ट रणनीति की आवश्यकता है जो शैक्षणिक ज्ञान को सामाजिक कल्याण से जोड़ सके।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहल ऊर्जा शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की दिशा में एक लंबी यात्रा की आधारशिला बनेगी। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से आग्रह किया कि वह स्कूल स्तर के छात्रों के लिए भी ऊर्जा शिक्षा का एक समर्पित पाठ्यक्रम विकसित करने में सहयोग करे।

धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईटी दिल्ली द्वारा इस महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला आयोजित करने के लिए सराहना की और कहा कि यह प्रयास भविष्य के लिए ऊर्जा क्षेत्र में योग्य मानव संसाधन तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऊर्जा, जलवायु और सतत विकास जैसे विषय अब केवल वैज्ञानिक विमर्श तक सीमित नहीं रह सकते, बल्कि इन्हें शिक्षा के हर स्तर पर समावेशित करना समय की मांग है। इस अवसर पर उन्होंने ‘ऊर्जा संगम’ पोर्टल का शुभारंभ भी किया, जो देशभर के शोध, पाठ्यक्रम और शैक्षणिक प्रयासों को एक मंच पर लाने का काम करेगा।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘ऊर्जा संगम’ (https://oorjasangam.iitd.ac.in/) नामक एक वेबसाइट लॉन्च की, जो देश में ऊर्जा, जलवायु और सतत विकास से संबंधित अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए एक “सिंगल स्टॉप पोर्टल” के रूप में काम करेगी।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंजन बनर्जी ने बताया कि कार्यशाला में एनआईआरएफ के शीर्ष संस्थानों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम विकास, उद्योग साझेदारी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एकीकरण पर चर्चा की गई।

ऊर्जा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अशु वर्मा ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य भावी पीढ़ी को सतत ऊर्जा भविष्य के लिए तैयार करना है।

इस कार्यशाला में आईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और निजी इंजीनियरिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विभिन्न सत्रों में पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला आवश्यकताएं, उद्योग सहयोग और ऊर्जा परिवर्तन से जुड़े विषयों पर सिफारिशें दीं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com