गढचिरौली/नागपुर : माओवादी संगठन के भीतर अब गंभीर मतभेद उभरते दिख रहे हैं। संगठन की टॉप लीडरशिप में तकरार की पुष्टि तब हुई, जब सीनियर कमांडर जगन का एक कथित पत्र सार्वजनिक हुआ, जिसमें उसने सेन्ट्रल कमेटी के ताकतवर नेता मल्लोजुलावेणुगोपाल राव उर्फ अभय उर्फ भूपति उर्फ सोनू पर गंभीर आरोप लगाए। खुफिया एजेंसियों ने इस पत्र के जारी होने की पुष्टि की है।
सूत्रों के मुताबिक यह पत्र पिछले महीने जारी हुआ था और अब इसकी पुष्टि खुफिया एजेंसियों द्वारा भी की जा चुकी है। जगन ने भूपति पर “आंतरिक तानाशाही”, “सांठगांठ और भ्रष्टाचार” और “जमीनी कैडर की उपेक्षा” जैसे आरोप लगाए हैं।
जगन द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि भूपति संगठन को व्यक्तिगत नियंत्रण में लेकर निर्णय लेने की प्रक्रिया को कुंद कर रहे हैं। वह केवल अपने वफादार लोगों को आगे बढ़ा रहे हैं और असहमत आवाजों को कुचलने का प्रयास कर रहे हैं। यह पार्टी के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है। पत्र में यह भी आरोप है कि भूपति ने कुछ राज्यों में चल रहे अभियानों के संचालन में भारी ‘चूक’ की है, जिससे सुरक्षा बलों के खिलाफ रणनीति विफल हुई और संगठन को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस पत्र के सामने आने के बाद केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब नक्सल नेतृत्व में मतभेद सामने आए हों, लेकिन इस बार मामला काफी ऊपरी स्तर का है। यदि यह दरार और गहरी होती है, तो यह संगठन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है।
नक्सल और माओवाद के विशेषज्ञों का मानना है कि नेतृत्व में गुटबाजी का असर जमीनी स्तर पर अभियान और रणनीति पर भी पड़ेगा। सुरक्षा बलों के लिए यह एक अवसर हो सकता है। खासकर यदि नेतृत्व में भ्रम की स्थिति लंबे समय तक बनी रही। यह पहला मौका नहीं है जब माओवादी संगठन के भीतर मतभेद या सत्ता संघर्ष की बात सामने आई हो। इससे पहले 2018 में भी तेलंगाना क्षेत्र में लीडरशिप को लेकर विवाद हुआ था, पर वह जल्द ही दबा दिया गया था।
फिलहाल संगठन की ओर से भूपति या अन्य किसी सीनियर नेता की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पत्र यदि वृहद पैमाने पर कैडर में फैलता है, तो यह भूपति की स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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