नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ कॉटेज एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज (एफएसीएसआई) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह उन बड़े उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए आरक्षित सरकारी खरीद कोटा पर कब्जे के लिए डेटा की गलत प्रस्तुति करते हुए माइक्रो और झूठा सेल्फ डिक्लेरेशन दाखिल करते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि कुछ बड़ी कंपनियां एमएसएमई उद्यम पोर्टल के जरिए उद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफेकेट प्राप्त करने के लिए अनुचित तरीका अपना रही हैं।
एसोसिएशन ने मेसर्स ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड का मुद्दा भी उठाया है। कहा गया है कि इस कंपनी ने उद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए गलत जानकारी दी। एफएसीएसआई ने दावा किया कि उक्त कंपनी ने क्लॉज 8(5) का सीधा उल्लंघन किया है।
उल्लेखनीय है कि मेसर्स ईस्ट इंडिया ड्रम्स एंड बैरल्स मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड का 2019-20 के लिए टर्नओवर 153.42 करोड़ रुपये दर्शाया गया। नियम के अनुसार 150 करोड़ रुपये के से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों को बड़ी कंपनी माना जाता है और उन्हें “माइक्रो और स्मॉल स्केल एंटरप्राइज” के दायरे में नहीं रखा जाता। बावजूद इसके उक्त कंपनी ने आंकड़ों में हेरफेर कर माइक्रो और स्मॉल स्केल एंटरप्राइज” में निबंधन कर लिया और उसका लाभ भी प्राप्त करती रही।
महत्वपूर्ण यह भी है कि देश की पब्लिक प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत, सभी केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स के लिए माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज़ से कम से कम 25 प्रतिशत सालाना प्रोक्योरमेंट का लक्ष्य हासिल करना जरू
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