सोनिया गांधी ने पर्यावरणीय गिरावट पर जताई चिंता, केंद्र को उपाय सुझाए

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नई दिल्ली : कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र पर अवैध खनन, वनों की कटाई, पर्यावरणीय कानूनों में ढील, भू-जल में यूरेनियम की बढ़ती मात्रा और दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा जैसे संकटों को जन्म देकर देश को गंभीर पर्यावरणीय आपदा की ओर धकेले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अरावली पर्वतमाला को खनन के लिए लगभग खुला छोड़ देना, तटीय और वन कानूनों का कमजोर होना और आदिवासी अधिकारों की अनदेखी सरकार की उन नीतियों का हिस्सा है, जिससे भारत का प्राकृतिक संतुलन तेजी से बिगड़ा है और लाखों लोगों का स्वास्थ्य जोखिम में पड़ा है।

 

सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में कहा कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ों को खनन प्रतिबंध से बाहर रखने का हालिया निर्णय अरावली की 90 प्रतिशत पहाड़ियों के लिए खतरे की घंटी है। यह कदम पहले से ही अवैध खनन से प्रभावित पर्वतमाला को और नष्ट कर देगा। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली-एनसीआर में हर सर्दी के साथ बढ़ने वाले स्मॉग को एक स्थायी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बताते हुए कहा कि केवल 10 शहरों में ही वायु प्रदूषण से हर साल 34 हजार मौतें होती हैं।

 

उन्होंने केंद्रीय भू-जल बोर्ड की हालिया रिपोर्ट पर कहा कि दिल्ली के 13–15 प्रतिशत भू-जल नमूनों में यूरेनियम की मात्रा सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है, जबकि पंजाब और हरियाणा में यह स्तर और भी अधिक है। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि पानी, जंगल और हवा तीनों ही मोर्चों पर भारत तेजी से पर्यावरणीय गिरावट का सामना कर रहा है।

 

सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार की नीतियां संरक्षण से अधिक प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2023, ड्राफ्ट ईआईए 2020 और तटीय विनियमन नियम 2018 जैसे कदमों को ऐसा फैसला बताया, जिसने पर्यावरण सुरक्षा तंत्र को कमजोर कर दिया है और बड़े कॉरपोरेट प्रोजेक्ट्स को बिना पर्याप्त जांच-परख के आगे बढ़ने का रास्ता साफ किया है।

 

उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों और वनाधिकार कानून को कमजोर करने की प्रवृत्ति भी चिंताजनक है। इन समुदायों ने सदियों से जंगलों और जैव विविधता की रक्षा की है। वन, पहाड़ और तटीय क्षेत्र लगातार संकट में हैं और यदि नीति-निर्माण में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, पारदर्शिता और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता नहीं दी गई तो आने वाले वर्षों में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

 

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि देश को पर्यावरण संरक्षण के लिए नई प्रतिबद्धता की आवश्यकता है जिसमें अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई, वनों की कटाई पर तत्काल रोक, कमजोर किए गए पर्यावरण कानूनों की समीक्षा और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसी संस्थाओं को मजबूत करना शामिल है। यही उपाय भारत को स्वच्छ हवा, सुरक्षित पानी और एक टिकाऊ भविष्य की दिशा में ले जा सकते हैं।

 

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