तिरुवन्नामलाई : तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में कार्तिक दीपम उत्सव के दौरान बुधवार को लाखों भक्तों ने अरुणाचलेश्वर मंदिर में महादीपम (एक विशाल दीपक) के दिव्य ज्योति रूप के दर्शन किए। यह पवित्र ज्योति, जो अन्नामलाई पहाड़ियों की चोटी पर प्रज्वलित होती है, भगवान शिव के अनन्त प्रकाश का प्रतीक है और भक्तों का मानना है कि इसके दर्शन से उन्हें आशीर्वाद और दिव्य कृपा प्राप्त होती है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर में वार्षिक कार्तिक दीप महोत्सव के मुख्य आयोजन के दौरान महा दीप के प्रज्वलित होते ही पूरा क्षेत्र “अन्नामलैयारुकु आरोगरा” और “ओम नमः शिवाय” के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव तिरुवन्नामलाई पर्वत पर अदृश्य अग्नि स्तंभ के रूप में अवतरित होते हैं और इसी रूप में उनकी पूजा की जाती है।
4,500 लीटर घी से बना विशाल दीपक
मंदिर प्रशासन के अनुसार, पर्वत की चोटी पर स्थापित विशाल दीपक की तैयारी एक दिन पूर्व पूरी कर ली गई थी। इसके लिए 4,500 लीटर घी, कपास और विशिष्ट कपड़े का उपयोग किया गया। आज सुबह चार बजे अर्थ मंडप में पंचमुखी अभिषेक, अलंकरण और दीप आराधना के बाद औपचारिक रूप से दीप प्रज्वलन शुरू किया गया।
बारिश के बावजूद उमड़ा श्रद्धालुओं का सागर
भारी बारिश के बावजूद लाखों भक्तों ने मंदिर परिसर, सड़कों, घरों की छतों और आसपास के ऊंचे स्थानों से दीप दर्शन किया। दीप जलते ही पर्वत की चोटी पर कुछ क्षणों के लिए दिखाई देने वाला अर्धनारीश्वर का दुर्लभ दिव्य रूप भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहा। दर्शन होते ही श्रद्धालु भावविभोर होकर शिव नाम जपने लगे। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में अधिक रही।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यहां पुलिस सुरक्षा, चिकित्सा शिविर, पीने के पानी की व्यवस्था, होटलों और आवास प्रबंधन सहित व्यापक तैयारियां की गई थीं। यातायात नियंत्रण के लिए शहरभर में बैरिकेडिंग भी की गई थी।
परंपरा के अनुसार, यह महा दीप अगले 11 दिनों तक जलता रहेगा। यह विश्वास है कि इस दीप के दर्शन से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लिहाजा, भक्ति और उत्साह के बीच श्रद्धालु लगातार “ओम अरुणाचला”, “शिव शिव” और “अन्नामलैयारे” का उच्चारण करते रहे तथा भगवान अरुणाचलेश्वर से कल्याण और सिद्धि की कामना की।———-
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