पंचकुला : भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2025 (आईआईएसएफ-2025) के पहले दिन यानी शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष के अनुभव साझा किए। पंचकूला में चल रहे महोत्सव के पहले सत्र में शुक्ला ने छात्रों और युवा वैज्ञानिकों से संवाद किया और स्पेस में बिताए अपने अनुभवों को बेहद सरल और रोचक तरीके से साझा किया।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपना मिशन पूरा करने वाले शुभांशु शुक्ला ने बताया कि अंतरिक्ष में जीवन कैसा होता है—कैसे वहां वजनहीनता में उन्हें चलना-फिरना, खाना-पीना, सोना और रोजमर्रा की गतिविधियाँ पूरी करनी पड़ती थीं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में हर चीज़ तैरती है—पानी की छोटी-छोटी बूंदें, खाने के पैकेट और यहां तक कि उनका खुद का शरीर भी। उन्होंने बच्चों को समझाया कि स्पेस में सोने के लिए विशेष स्लीपिंग पॉड्स का उपयोग होता है और वैज्ञानिक प्रयोग बेहद अनुशासन और निर्धारित समय के अनुसार किए जाते हैं।
सत्र के दौरान बच्चों ने उनसे कई प्रश्न पूछे—जैसे कि अंतरिक्ष में भोजन कैसा मिलता है, दिन-रात का अनुभव कैसा होता है और माइक्रोग्रैविटी में शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है। शुभांशु ने सभी सवालों के जवाब प्रेरक अंदाज़ में दिए। आईआईइसएफ में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधकर्ता पहुंचे। यह फेस्टिवल आने वाले दिनों में कई वैज्ञानिक प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, युवा संवाद सत्रों और नवाचार प्रदर्शनों का मंच बनेगा। पंचकूला में आयोजित इस विज्ञान महोत्सव का उद्देश्य विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना, युवाओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना और भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को व्यापक स्तर पर प्रदर्शित करना है।
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