ईयरएंडर 2025- संस्कृति मंत्रालय: विरासत, वैश्विक पहचान और राष्ट्रीय चेतना को समर्पित वर्ष

नई दिल्ली : केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के लिए वर्ष 2025 वैश्विक उपलब्धियों, राष्ट्रीय स्मृतियों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का वर्ष रहा। वर्ष भर की पहलों में अंतरराष्ट्रीय मान्यता, ऐतिहासिक विरासत की वापसी, राष्ट्रव्यापी अभियान और जनभागीदारी को प्राथमिकता दी गई। इससे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूती मिली और देश की समृद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने तथा बढ़ावा देने के अवसर मिले।

 

वैश्विक उपलब्धि

 

इस वर्ष की सबसे बड़ी वैश्विक और ऐतिहासिक महत्व की उपलब्धी रही भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की वापसी और ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना दूसरी बड़ी उपलब्धि थी।

 

उत्तर प्रदेश के पिपरहवा में खोजे गए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 30 जुलाई को भारत लौटाया गया। सोथबी कंपनी के इनकी नीलामी पर मंत्रालय ने कड़ा रुख अपनाया। वहीं केन्द्र सरकार कानूनी व कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक भारतीय औद्योगिक घराने के निजी अधिग्रहण के माध्यम से देश में लाई। दूसरी ओर 11 जुलाई को भारत के आधिकारिक नामांकन के तहत ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह देश की 44वीं प्रविष्टि बनी।

 

 

 

समाज में कार्यरत संगठन को मान्यता

 

संस्कृति मंत्रालय ने इस वर्ष देश और समाज के लिए कार्यरत वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर उसे मान्यता दी। दो अक्टूबर को विजयादशमी से एक दिन पहले 1 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं 100 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। इसमें ‘भारत माता’ की छवि अंकित है जो स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा सिक्का है। इसके अलावा एक डाक टिकट भी जारी किया, जो 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में संघ के स्वयंसेवकों के भाग लेने को याद करता है।

 

प्रयास एवं पहल

 

मंत्रालय ने भारत की प्राचीन पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार के प्रति समर्पित ‘ज्ञान भारतम’ नामक राष्ट्रव्यापी पहल शुरू की। 11-13 सितंबर को, नई दिल्ली में पहला ज्ञान भारतम अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन आयोजित हुआ। इसका विषय “पांडुलिपि धरोहर के जरिए भारत की ज्ञान विरासत को वापस पाना” था। मंत्रालय ने जनजातीय कार्य मंत्रालय और अन्य के सहयोग से 12 नवंबर को नई दिल्ली स्थित यशोभूमि ‘जनजातीय व्यापार कॉन्क्लेव 2025’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका शीर्षक “जनजातीय विरासत से उद्यम: सतत उद्यमिता को बढ़ावा देना” था। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट ने 20 नवंबर को “प्रोजेक्ट गज-लोक: एशिया में हाथियों की भूमि और उनका सांस्कृतिक प्रतीकवाद” नामक अग्रणी अंतरराष्ट्रीय पहल शुरू की।

 

राष्ट्रीय स्मृति

 

राष्ट्रीय एकता के प्रतीक सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती को एस वर्ष विशेष तौर पर मनाया गया। साथ ही आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने को भी इतिहास के काले अध्याय के तौर पर याद किया गया। इसके अलावा देश की आजादी के मंत्र बने ‘वंदेमातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई।

 

राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। इस मौके पर “लौह पुरुष नमस्तुभ्यम” नामक नृत्‍य प्रस्‍तुति के दौरान 800 से ज़्यादा कलाकार शामिल हुए। 1975 में आपातकाल लागू होने के 50 साल पूरे होने पर, संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर 25 जून, 2025 को नई दिल्ली में ‘संविधान हत्या दिवस’ पर आयोजन किया । यह लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के महत्व को याद दिलाता है। राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम 7 नवंबर 2025-7 नवंबर 2026 तक चलेगा।

 

मुख्य विशेषताओं में अनुभूत मंडपम: स्वर्ग से धरती पर गंगा के अवतरण का 360° इमर्सिव अनुभव, अविरल शाश्वत कुंभ: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा डिजिटल प्रस्तुति, संस्कृति आंगन: सात क्षेत्रीय संस्कृति केंद्रों के आंगनों में पारंपरिक भारतीय हस्‍तशिल्‍प और हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री शामिल है।

 

राष्ट्रीय पर्व एवं जनभागीदारी

 

भारत का 79वां स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) “नया भारत” थीम के साथ मनाया गया। इसके तहत पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया गया। इससे पहले 12 अगस्त को भारत मंडपम में आयोजित बाइक रैली के दौरान हजारों बाइक चालकों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। गणतंत्र दिवस पर संस्कृति मंत्रालय ने ‘जयति जय मम भारतम’ (जेजेएमबी) नामक सांस्कृतिक प्रस्तुति पेश की। इसमें 5 हजार से अधिक कलाकारों ने ‘विकसित भारत’, ‘विरासत भी विकास भी’, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ जैसी थीम पर 50 से अधिक लोक और जनजातीय नृत्यों का प्रदर्शन किया। इसने ‘सबसे बड़े भारतीय लोक विविधता नृत्य’ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।

 

धार्मिक–सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत

 

देश की धार्मिक सांस्कृतिक व सभ्यागत पहचान को मजबूत करने के लिए मंत्रालय की ओर से आयोजन और महोत्सवों में भागीदारी रही। सबसे महत्वपूर्ण आस्था का महापर्व महाकुंभ रहा। मंत्रालय ने प्रयागराज में महाकुंभ, सेक्टर-7 में 10.24 एकड़ क्षेत्र में (13 जनवरी-26 फरवरी) कलाग्राम स्थापित किया। इसमें 15 हजार कलाकारों और कारीगरों को देश की विविध कला तथा शिल्प परंपराओं को प्रदर्शित करने का मंच मिला। तमिलनाडु और काशी के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाला काशी तमिल संगमम 3.0, 15-24 फरवरी तक वाराणसी में आयोजित हुआ। इसमें 869 से अधिक कलाकारों और 190 स्थानीय लोक व शास्त्रीय समूहों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक और बौद्धिक रिश्तों को मजबूत करना था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 18 मार्च को श्रीरंगम मंदिर में कम्ब रामायण उत्सव का उद्घाटन करके तमिलनाडु में कंभ रामायण की परंपरा को फिर से शुरू की। एक महीने तक चले महोत्सव में 20 मंदिरों में प्रस्‍तुतियां दी गईं। इसका समापन 6 अप्रैल (राम नवमी) को कंबन मेदु में ग्रैंड फिनाले के साथ हुआ। यह परंपरा अब हर साल जारी रहेगी। संस्कृति मंत्रालय ने राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती पर 23-27 जुलाई तक तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम में आदि तिरुवधिरै उत्सव आयोजित किया। यह उत्सव चोल के समुद्री अभियान की 1,000वीं सालगिरह को चिन्हित करने के लिए यूनेस्को-मान्यता प्राप्त है।

 

महापुरुषों की स्मृति

 

इस वर्ष महापुरुषों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती शामिल है। मंत्रालय ने मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से 31 मई को भोपाल के जंबूरी मैदान में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई। इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट तथा एक विशेष सिक्का जारी किया। डॉ मुखर्जी की 125वीं जयंती का उद्घाटन समारोह नई दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। यह समारोह 9 जुलाई 2025 से जुलाई 2027 तक चलेगा। इस मौके पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया गया। इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों में श्रील प्रभुपाद के 150वें आविर्भाव दिवस का स्‍मरणोत्‍सव, प्रोजेक्ट मौसम पर राष्ट्रीय कार्यशाला, 17 सितंबर-2 अक्टूबर 2025 तक ‘सेवा पर्व 2025’ शामिल हैं। मंत्रालय ने 75 चुनिंदा स्थानों पर “विकसित भारत के रंग, कला के संग” थीम के तहत कला कार्यशालाओं का आयोजन किया।

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