नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं की जरूरतों को देखते हुए हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए 79 हजार करोड़ रुपये को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में लिए गए इन फैसलों से सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा। जरूरी मंजूरियों में टी-90 मुख्य युद्धक टैंक की मरम्मत करने और एमआई-17 हेलीकॉप्टर के मिड-लाइफ अपग्रेड के प्रस्ताव शामिल हैं, जिनका मकसद ऑपरेशनल तैयारी को बढ़ाने के लिए युद्ध संपत्तियों की सर्विस लाइफ बढ़ाना है।
बैठक में आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए लॉइटर म्यूनिशन सिस्टम, लो लेवल लाइट वेट रडार, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम के लिए लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट एम्युनिशन और भारतीय सेना के लिए इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-II की खरीद को मंजूरी दी गई। लॉइटर म्यूनिशन का इस्तेमाल टैक्टिकल टारगेट पर सटीक हमला करने के लिए किया जाएगा, जबकि लो लेवल लाइट वेट रडार छोटे साइज के, कम ऊंचाई पर उड़ने वाले अनमैन्ड एरियल सिस्टम का पता लगाकर उन्हें ट्रैक करेंगे। लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट, हाई वैल्यू टारगेट पर असरदार तरीके से हमला करने के लिए पिनाका रॉकेट सिस्टम की रेंज को बढ़ाएंगे। इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-II की रेंज ज्यादा है, जो सेना की जरूरी संपत्तियों की सुरक्षा करेगा।
नौसेना के लिए बोलार्ड पुल टग्स, हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ़्टवेयर डिफ़ाइंड रेडियो मैनपैक खरीदने और हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम को लीज पर लेने के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) दी गई। बोलार्ड पुल टग्स के शामिल होने से नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों बंदरगाह में पैंतरेबाज़ी में मदद मिलेगी। यह प्रणाली बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशन के दौरान लंबी दूरी के सुरक्षित संचार सुविधा को बढ़ाएगी, जबकि हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार खुफिया, निगरानी, टोही और भरोसेमंद समुद्री डोमेन जागरुकता पक्का करेगा।
बैठक में वायु सेना के लिए ऑटोमैटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम, एस्ट्रा एमके-II मिसाइल, फ़ुल मिशन सिम्युलेटर और स्पाइस-1000 लॉन्ग रेंज गाइडेंस किट वगैरह खरीदने की मंजूरी दी गई। ऑटोमेटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम के आने से एयरोस्पेस सेफ्टी के माहौल में कमी पूरी होगी, क्योंकि इससे लैंडिंग और टेक-ऑफ़ की हाई डेफ़िनिशन ऑल-वेदर ऑटोमैटिक रिकॉर्डिंग मिलेगी। ज़्यादा रेंज वाली एस्ट्रा एमके-II मिसाइलें लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता बढ़ाकर दुश्मन के विमानों को बेअसर करने की क्षमता बढ़ाएंगी। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के लिए फ़ुल मिशन सिम्युलेटर पायलटों की ट्रेनिंग को किफायती और सुरक्षित तरीके से बढ़ाएगा, जबकि स्पाइस-1000 भारतीय वायु सेना की लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाएगा।
रक्षा मंत्रालय के इन फैसलों को सेनाओं को आधुनिक बनाने, लड़ाई की तैयारी बढ़ाने और बदलती सुरक्षा चुनौतियों के बीच उन्नत तकनीक को तेजी से शामिल करने की बड़ी कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है। पिछले हफ्ते रक्षा मंत्रालय ने एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी, जिससे सशस्त्र बल अगले साल 15 जनवरी तक आपातकालीन खरीद शक्तियों के तहत समझौते कर सकेंगे। इससे पहले ऐसे समझौते करने की समय सीमा 19 नवंबर थी। ये आपातकालीन खरीद शक्तियां ऑपरेशन सिंदूर के बाद दी गईं हैं, ताकि सेनाओं को भविष्य की इमरजेंसी के लिए तैयार रहने में मदद मिल सके।—————
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