नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन की अटकलों को खारिज करते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने शनिवार को कहा कि अन्ना आंदोलन के जरिए मोदी को खड़ा करने वाले केजरीवाल के साथ हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं उठता है. माकन ने यह भी दावा किया कि जनता अब केजरीवाल को नकार रही है और दिल्ली में कांग्रेस को वापस लाना चाह रही है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘ दिल्ली के कांग्रेस कार्यकर्ता और सभी नेता यह बिल्कुल नहीं चाहते कि केजरीवाल की पार्टी के साथ किसी तरह का गठबंधन हो. इसकी कुछ वजह हैं. पहली वजह है कि यह है केजरीवाल की लोकप्रियता में लगातार गिरावट आ रही है और जनता अब उनको नकार चुकी है.
घट रहा है आप का ग्राफ
उन्होंने कहा, ‘दूसरी वजह यह है कि 2011 में केजरीवाल ने बाबा रामदेव, किरण बेदी, आरएसएस और भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया और मोदी को खड़ा किया. ऐसे में केजरीवाल के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता है. माकन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 56 फीसदी वोट मिले थे और नगर निगम चुनाव में उसे सिर्फ 26 फीसदी वोट मिले. दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट नौ फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी पर पहुंच गया है.
बढ़ रहा है कांग्रेस का ग्राफ
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. राजौरी गार्डन और बवाना विधानसभा के उपचुनावों में हमने देखा कि आप के वोट में काफी गिरावट आई है. माकन ने आरोप लगाया कि दिल्ली के लोग बिजली और पानी से संबंधित समस्या से परेशान हैं. दिल्ली में 10वीं और 12वीं कक्षा के इस बार के परिणाम सबसे कम रहे हैं. लोग इनसे परेशान हो चुके हैं.
राज्य की स्थिति के हिसाब से गठबंधन
गौरतलब है कि मोदी सरकार को 2019 में सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस पूरे देश में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन करने जा रही है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि वह मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन को तैयार हैं. शुक्रवार को कांग्रेस ने कहा था कि हर प्रदेश की स्थिति के हिसाब से गठबंधन की नीति तय होगी, हालांकि हर जगह मकसद यही होगा कि भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा नहीं हो.
वोटों का बंटवारा रोकना मकसद
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर सोच-समझ कर और रणनीतिक रूप से गठबंधन होता है. उद्देश्य एक ही रहेगा. उद्देश्य है कि बीजेपी के खिलाफ वोट का बंटवारा न हो या न्यूनतम हो. इसके लिए अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग नीति होगी और किस प्रदेश में किसके साथ सहमति बनेगी, इसके लिए इंतजार करना होगा.