पंजाब में भाजपा के लिए गुटबाजी बनी मुसीबत, एक न हुए तो झेलना होगा भारी नुकसान

दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी भाजपा के लिए पंजाब में गुटबाजी ही सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है। अगर एकजुट न हुए तो चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। पार्टी के कोटे के तीनों लोकसभा हलकों अमृतसर, गुरदासपुर और होशियारपुर में भाजपा पूरी तरह बिखरी नजर आ रही है। सबसे ज्यादा गुटबाजी प्रदेश प्रधान श्वेत मलिक के अपने घर अमृतसर में है। पिछली बार यहां से पार्टी के हैवीवेट कैंडिडेट अरुण जेटली को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए यह सीट इस बार भाजपा हाईकमान के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। पर गुटबाजी जीत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।

यहां श्वेत मलिक और पूर्व मंत्री अनिल जोशी के बीच टकराव खुल कर सामने आ गया है। कुछ दिन पहले अमित शाह ने यहां शक्ति केंद्र प्रमुख सम्मेलन करना था। उसके एक दिन पहले आयोजन स्थल से अनिल जोशी के होर्डिंग्स हटा दिए गए। अगले दिन बहस के बाद दोबारा लगे। संकल्प दिवस पर प्रभारी कैप्टन अभिमन्यु के सामने ही जोशी और मलिक समर्थकों के बीच जबरदस्त तू तू-मैं मैं और नारेबाजी हुई। जोशी यहां से टिकट के दावेदार भी हैं। गुरदासपुर में पार्टी का यही हाल है। 2017 में उप चुनाव लड़ चुके स्वर्ण सलारिया के मुकाबले में कविता खन्ना का ग्रुप है।

जिला प्रधान सलारिया के साथ है तो आम वर्कर उसके ही खिलाफ हैं। वहीं, अश्वनी शर्मा, मास्टर मोहन लाल के पुराने गुट हैं तो नरिंदर परमार का नया गुट बन गया है। ये सभी टिकट के दावेदार भी हैं। किसी एक को टिकट मिलने पर खुल कर उसके साथ चलेंगे, यह निश्चित नहीं है। होशियारपुर हलके में भी टकराव तय माना जा रहा है। मौजूद सांसद विजय सांपला के साथ अविनाश राय खन्ना हैं तो दूसरी तरफ विधायक सोम प्रकाश और पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद का गुट है। दोनों गुटों में बिल्कुल नहीं बनती। सोम प्रकाश खुद टिकट के दावेदार भी हैं।

बाकी सीटों पर सरगर्मियां ठप

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री राम लाल ने चंडीगढ़ में हुई अलग-अलग बैठकों में प्रदेश से लेकर जिले के नेताओं को सभी 13 सीटों की तैयारी करने को कहा था। दोनों नेताओं को स्पष्ट हिदायत थी कि सभी 13 हलकों में पार्टी बूथ स्तर पर अपनी तैयारी करें। लेकिन शिअद के कोटे की दस सीटों पर भाजपा की कोई सरगर्मियां नहीं हैं।

हाईकमान की ओर से कोई कार्यक्रम आता है तो रस्म अदायगी हो जाती है। पार्टी वर्कर फिलहाल घर ही बैठे हैं। प्रदेश प्रधान मलिक का फोकस भी अपनी तीन सीटों पर ही है, बाकी हलकों का उन्होंने दौरा तक नहीं किया है। शाह के घर बैठक में शिअद-भाजपा के बीच जिलास्तर पर तालमेल बनाने की बात यह हुई थी, वह भी सिरे नहीं चढ़ी।

बाहरी उम्मीदवार की तलाश में पार्टी
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा करवाए सर्वे में भी यह सामने आया है कि गुटबाजी चुनाव में नुकसान कर सकती है। इसलिए पार्टी बाहरी उम्मीदवार की तलाश में है। क्योंकि उस स्थिति में सभी गुट उसके साथ चल सकते हैं। कांग्रेस द्वारा गुरजीत औजला को उतारने के बाद भाजपा में अमृतसर से एक बार फिर पूनम ढिल्लों का नाम चलने लगा है। 5-6 को संसदीय बोर्ड की बैठक में उम्मीदवारों पर फैसला हो सकता है।

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