अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है….

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला अब हरिद्वार के आरोग्यम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का है। यहां योजना के नाम पर लाखों रुपये का फर्जी क्लेम डकार लिया। जांच में यह भी पता लगा है कि मेडिकल कॉलेज एमसीआइ से मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में अस्पताल की सूचीबद्धता निलंबित करने के साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब 15 दिन के भीतर देना होगा।

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के निदेशक (प्रशासन) डॉ अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि इस अस्पताल ने सूचीबद्ध होने के लिए आवेदन के समय खुद को मेडिकल कॉलेज दर्शाया था। वह एमसीआइ की वेबसाइट पर पंजीकृत ही नहीं है। इसके अलावा भी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ने कई तरह से जालसाजी कर लाखों रुपये का क्लेम हड़पा है।

डॉ त्रिपाठी ने बताया कि हाल ही में अस्पताल की ओर से जो क्लेम प्रस्तुत किए गए थे, उन्हें तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। अस्पताल की सूचीबद्धता भी निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।

प्री-ऑथ अप्रूवल बिना सर्जरी

अस्पताल में सूचीबद्धता के बाद से 22 मई तक कुल 18 मरीज ऐसे रहे जिनकी सर्जरी बिना प्री ऑथ अप्रूवल के की गई। जबकि, ऐसा संभव नहीं है। इनमें से 17 मरीजों का इलाज दर्शाकर अस्पताल ने कुल 3.37 लाख रुपये क्लेम के रूप में हासिल किया। एक मरीज का 25 हजार रुपये अभी जारी नहीं किया गया है।

भर्ती के बाद रेफरल पर्ची

अस्पताल ने जल्दबाजी में इतना फर्जीवाड़ा किया कि अब वह जांच में बुरी तरह से फंस गया। यहां दो मरीजों को भर्ती होने के बाद रेफरल पर्ची दी गई। पंकज वर्मा नाम के मरीज को 29 मार्च को अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसके पास जो इमली खेड़ा सीएचसी की रेफरल स्लिप थी उसमें तारीख एक अप्रैल अंकित थी।

इसी तरह से गौमती नाम की महिला को सीएचसी भगवानपुर से 11 जनवरी को रेफर किया गया, लेकिन गौमती नौ जनवरी को ही आरोग्यम मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती थीं।

एक डॉक्टर और ऑपरेशन तमाम 

आरोग्यम अस्पताल ने सूचीबद्ध होने के समय जानकारी दी थी कि उनके पास एक जनरल सर्जन और एक निष्चेतक की टीम मौजूद है। यही टीम यहां पर सर्जरी करती है। जांच टीम ने जब अस्पताल में दस्तावेज जांचे तो पता चला कि चार फरवरी को अकेले डॉक्टर ने छह घंटे के भीतर चार और 18 फरवरी को आठ घंटे में आठ लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की। ऐसे में यह गुणवत्ता पर सवाल उठाता है कि एक ही डॉक्टर इतने कम समय में इस तरह ऑपरेशन पर ऑपरेशन कर रहा है।

ईएनटी सर्जन नहीं पर सर्जरी हुई

अस्पताल में कई सर्जरी नाक कान गले की भी हुई, लेकिन अस्पताल ने अपने यहां कोई ईएनटी सर्जन या अन्य चिकित्सक होने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। अस्पताल में कुल 43 मामले ईएनटी सर्जरी के आए।

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