राजनीतिक था 17 जातियों को एसी में शामिल करने का फैसला : मायावती

लखनऊ : राज्य सरकार की ओर से 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शमिल करने के निर्णय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मायावती ने ट्वीट के जरिए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह राजनीति से स्वार्थ प्रेरित फैसला था। मंगलवार को सोशल मीडिया ट्विटर पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया “यूपी में 17 ओबीसी जातियों को जबर्दस्ती एससी घोषित करने पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने की खबर आज स्वाभाविक तौर पर बड़ी सुर्खियों में है। घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित ऐसे फैसलों से किसी पार्टी/सरकार का कुछ नहीं बिगड़ता है लेकिन पूरा समाज इससे प्रभावित होता है। अति-दुर्भाग्यपूर्ण।

विदित हो कि प्रदेश सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर को अनुसूचित जातियों की सूची में डाल दिया था। योगी सरकार ने अपने इस फैसले के बाद सभी जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाण दिए जाने का भी आदेश दे दिया था। इस पर सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और सरकार के इस शासनादेश को अवैध ठहराया था।

इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने फौरी तौर पर माना कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह से गलत है। साथ ही सरकार को इस तरह का फैसला लेने का भी अधिकार नहीं है। सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है। केंद्र व राज्य सरकारों को इसका संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है। इसके बाद 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शमिल करने के निर्णय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।

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