अयोध्या विवाद : यह आस्था की जीत नहीं, Supreem न्याय की जय-जयकार

-विशेष प्रतिनिधि

लखनऊ : देश के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यों वाली खंडपीठ ने राम जन्मभूमि विवाद का सर्वसम्मति से हल निकाल दिया। इस फैसले में कहा गया है कि विवादित भूमि रामलला की है, इसलिए यह जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी जाती है। अदालत ने भगवान राम का जन्म अयोध्या में होना माना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भूमि के तीन हिस्से किए थे, जिन्हें शीर्ष न्यायालय ने तार्किक नहीं माना। अतएव निर्मोही अखाड़ा एवं शिया वक्फ बोर्ड के दावे खारिज कर दिए गए हैं। अतः केवल दो ही पक्ष रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे ही स्वीकार किए गए हैं।

अयोध्या मामले पर फैसला इतना भी आसान नहीं था। एक आग का दरिया था और तैरकर जाना था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की बेंच ने इस दरिया को करीने से पार किया। जो कहानी कभी बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने शुरू की थी, वह सदियों तक हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब के लिए सवाल बनती रही। मुगल हों, नवाब हों, अंग्रेज हों या स्वतंत्र हिन्दुस्तान के दिल्ली-यूपी में बैठे शासक, किसी को नहीं मालूम था कि आखिर इस गहरे सवाल से निपटा कैसे जाये? शायद इस सवाल का जवाब 2019 में नवम्बर की 9 तारीख को लिखा जाना था। जो पेचीदा मसला हिन्दुस्तान के दोनों अहम मजहबों के बीच दीवार बना जा रहा था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसा निपटाया कि किसी की हार न हुई, किसी को जीत न मिली। आस्था को धक्का न लगा, न्याय सवालों में न घिरा।

दरअसल, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के सवालों का जवाब ढूंढना और उनके सहारे न्याय की लौ जलाये रखना, बेशक आसान नहीं था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की पीठ ने 40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद जो फैसला दिया, वह बेशक ऐतिहासिक ही कहा जायेगा। खास बात यह भी रही कि फैसला सर्वसम्मति से हुआ।

फैसले के महत्वपूर्ण बिन्दु

  • जिस जगह पर मस्जिद का गुंबद था वह हिन्दू पक्ष के हवाले कर दिया जाये। सुन्नी वक्फ बोर्ड को अलग से पांच एकड़ जमीन दी जाये, ताकि वहां आलीशान मस्जिद की तामीर हो।
  • पीठ ने कहा कि जमीन पर हिंदू दावा सही लगता है। केन्द्र को कहा कि वह तीन महीने के भीतर अयोध्या पर एक कार्ययोजना बनाए।
  • पीठ ने निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया और ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को रखना है या नहीं यह केन्द्र सरकार के निर्णय पर छोड़ दिया। हालांकि, पक्षकार गोपाल विशारद को पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया गया।
  • पीठ ने कहा कि आस्था के आधार पर मालिकाना हक नहीं मिल सकता। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई का कहना था कि पुरातत्व विज्ञान को नकारा नहीं जा सकता। विवादित बाबरी मस्जिद के नीचे एक ढांचा मिला है जो संरचना से इस्लामिक नहीं लगता।
  • पीठ ने कहा कि अंदर के चबूतरे पर कब्जे का विवाद है। 1528 से 1556 तक वहां नमाज पढ़ी गई ऐसा कोई सबूत नहीं है। बाहरी चबूतरे पर मुसलमान कभी काबिज नहीं थे, 6 दिसंबर की घटना से यथास्थिति खत्म हो गई। सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड इस जगह के इस्तेमाल का सबूत नहीं दे पाया।
  • बाहरी चबूतरे पर हमेशा से हिन्दुओं का कब्जा था, ऐतिहासिक यात्रा वृतांत्त भी यही कहते हैं। ऐतिहासिक यात्रा वृतांत बताते हैं कि सदियों से मान्यता रही है कि अयोध्या ही राम का जन्मस्थान है।
  • हिन्दुओं की इस आस्था को लेकर कोई विवाद नहीं है। आस्था उसे मानने वाले व्यक्ति की निजी भावना है। मस्जिद मीर बाक़ी ने बनाई थी, अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में दाखिल होना ठीक नहीं है।

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