माननीयों को पेंशन, वोटर खाली हाथ -भरत गांधी

वीपीआई के तीसरे स्थापना दिवस पर विजय दिवस रैली आयोजित

एटा : भारत में वोट देकर माननीय चुनने वाला वोटर खाली हाथ है, जबकि उसके वोट से ही माननीय चुने जाते हैं, वे तनख्वाह और पेंशन दोनों पाते हैं। 21वीं सदी में जी रहे अब वोटर जाग्रत हो गये हैं। वे अब भली-भांति जानते हैं कि उसके वोट की ताकत से ही एमएलए तथा एमपी चुने जाते हैं और फिर उनके द्वारा राज्य तथा केन्द्र की सरकारों का गठन होता है। खजाना चंद अमीरों की बुनियादी विरासत नहीं, इस पर देश के बहुसंख्यक गरीबों को भी उतना ही हक है, जितना माननीयों का। यह विचार विश्व परिवर्तन मिशन के संस्थापक तथा वोटर पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक विश्वात्मा भरत गांधी ने पार्टी के तीसरे स्थापना दिवस पर कलक्ट्रेट के धरनास्थल पर आयोजित विजय दिवस रैली के दौरान व्यक्त किए।

विश्वात्मा ने कहा कि जिस यूरोप ने सत्रहवीं शताब्दी में राष्ट्रवाद की अवधारणा को पूरे विश्व में फैलाया उसी ने इस अवधारणा को त्याग कर 27 देशों की एक यूरोपियन यूनियन बना ली है। जिसकी एक साझी मुद्रा, वीजा मुक्त आवागमन, साझा व्यापार, साझी सेना गठित कर ली। विश्व के लगभग सभी देश उसी पुरानी सड़ी-गली राज व्यवस्था पर आधारित लोकतंत्र को अपनाए हुए हैं। जिसमें धरती का प्रत्येक मनुष्य असुरक्षा तथा भय से भरे खतरे में जीवन जीने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के इस युग में पूरी दुनिया एक गांव बनती जा रही है, जिसमें धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर बंटवारा आत्मघाती हो गया है। ऐसी स्थिति में धर्म और राष्ट्रीयता के नाम पर खून खराबा और युद्ध के लिए लोगों को तैयार करना आज के नेताओं की या तो मानसिक कमजोरी है या अपना इतिहास बनाने के लिए जानबूझ कर की जा रही साजिश है। मशीनों के कारण, कुदरत की दौलत के कारण और कानूनों के कारण फ्री में पैदा हो रहे पैसे को वोटरों के बीच फ्री में बांटने पर लम्बे संघर्ष के बाद बनी राष्ट्रीय सहमति पर पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश प्रभारी भानुप्रताप ने कहा कि 20 साल पहले हर वोटर को जो वोटरशिप कानून बनाने की मांग उठी थी, उस मांग का समर्थन देर से ही वर्तमान में राष्ट्रीय स्वीकार्ता मिल चुकी है। वोटरशिप आन्दोलन के कारण ही 2015 में जनधन खाते खुलवाए गए। 2016 में सरकार ने फ्री में पैसा देना स्वीकार किया। 2016 में ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम के नाम से 2600 रूपया देने का प्रधानमंत्री मोदी ने वादा लिखित में स्वीकार किया। 2018 में सरकार ने किसान सम्मान निधि के नाम पर किसानों को 500 देना शुरू किया। 2019 में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने न्याय योजना के नाम पर 6000 रूपया प्रतिमाह देने की घोषणा की। इसलिए राष्ट्र ने माना कि देश में फ्री की खजाने पर वोटर का हक है।

पूर्व चेयरमैन राकेश गांधी ने इस अवसर पर कहा कि सन 2005 में वोटरों को पैसा देने के लिए 137 सांसदों ने संसद में विश्वात्मा भरत गांधी की याचिका पेश किया था। 2008 में सीधे लोगों को पैसा देने के लिए आधार कार्ड कानून बना। 2009 में गैस सिलेंडर की छूट की रकम को सीधे घर-घर भेजा गया। 2 दिसंबर 2011 को संसद की एक्सपर्ट कमेटी ने वोटरों को फ्री में पैसा देना सही और संभव माना। इसलिए कांग्रेस ने न्याय योजना की और भाजपा सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की। इस दौरान कार्यक्रम में विनोद कुमार आर्य, जिलाध्यक्ष मदन यादव, सादेश अली मसीह, नंदलाल, रामनिवास यादव, राजेश यादव, दयाराम पागल, मेघसिंह, जितेंद्र कुमार, चंद्रपाल सिंह, नेतराम सिंह, रमेश चंद्र यादव, सूरज पाल, बसीरा बेगम, चमेली देवी, मनोज कुमार, राजसिंह आदि ने संक्षेप में अपने-अपने विचार रखकर जन समुदाय को वोटरशिप के बारे में जानकारी दी।

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