नागरिकता संशोधन कानून पर गर्मायी सियासत, जोर-शोर से विपक्ष उठाएगा यह मुद्दा

देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में राजनीतिक गर्माहट बढ़ती जा रही है। मंगलवार से आरंभ हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाने के साथ गैर भाजपा दलों ने इसके विरोध में सड़क पर उतर कर आक्रोश जताने का एलान किया है।

इस कड़ी में समाजवादी पार्टी ने 19 दिसंबर को मंडल मुख्यालयों पर होने वाले धरना-प्रदर्शन को जिला स्तर पर कराने का फैसला लिया है। प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर 19 को जिला केंद्रों पर नागरिकता संशोधन विधेयक, बेकारी, महंगाई और महिलाओं पर अत्याचार व किसानों के मुद्दों को लेकर धरना दिया जाएगा। चौधरी का कहना है कि प्रत्येक मोर्चे पर फेल हुई भाजपा अब जनता का ध्यान भटकाने के लिए ओछे हथकंडे अपना रही हैं।

उधर, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा सरकार पर जन सरोकार से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए नागरिकता संशोधन कानून को एकता व अखंडता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि प्रसपा 18 दिसंबर को जिला केंद्रों पर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने किसानों पर लगे फर्जी मुकदमे वापस करने और बकाया गन्ना मूल्य का तत्काल भुगतान कराने की मांग भी की।

वाम दलों की ओर जारी संयुक्त बयान में नागरिकता संशोधन विधेयक को संविधान विरोधी करार दिया गया है। सीपीआइएम, सीपीआइ, सीपीआइ (एमएल) व फारवर्ड ब्लाक के राज्य सचिवों हीरालाल यादव, गिरीश शर्मा, सुधाकर यादव, एसएन चौहान व संतोष गुप्ता ने 19 दिसंबर को प्रदर्शन का एलान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा व आरएसएस देश की एकता को तोड़कर हिंदू राष्ट्र का सपना देख रहे है। बसपा और कांग्रेस भी नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में आक्रोश जता चुकी हैं।

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