
इसे पूरा करने में किन्नर महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और शबनम मौसी जैसे किन्नर संतों ने सहयोग का आश्वासन दिया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. कृष्ण मोहन मिश्र ने बातचीत के दौरान बताया कि पहले चरण में प्राथमिक विद्यालय से शुरुआत होगी। क्रमशः विस्तार होगा। इंटर कॉलेज और फिर विश्वविद्यालय संचालित होगा। सीबीएससी बोर्ड होगा, पढ़ाई का पैटर्न सीबएसई बोर्ड के पैटर्न से इसे संचालित प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई अगले सत्र से शुरू होगी। प्रवेश लेने वाले दो बच्चे मिल गए हैं। इस निर्णय के पीछे बचपन से ही किन्नर बच्चों की मानसिक स्थिति अन्य लिंग के बच्चों की तैयार करना है।
जनवरी से शुरू होगा निर्माण कार्य : जनवरी से निर्माण कार्य शुरू होगा और इसी के साथ प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होगी। फिर चरणबद्ध तरीके से कक्षा एक से लेकर पीएचडी तक के सभी विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था होगी। यह भारत का इकलौता ऐसा संस्थान होगा, जिसमें किन्नर समाज उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेगा।

देश मे करीब ढाई लाख हैं किन्नर बच्चे : डॉ मिश्र की मानें तो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश मे करीब ढाई लाख किन्नर हैं। लोग अपने किन्नर छोटे बच्चों को छोड़ जाते हैं। इनके रहने खाने की कोई व्यवस्था नहीं होती। किन्नर समाज के बड़े ही इन्हें पालते पोसते हैं। सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिलती। अब उन्हें यहां शिक्षा मिलेगी।