इस बार 3,000 सिख श्रद्धालु बैसाखी के मौके पर जाएंगे गुरुद्वारा पंजा साहिब…

इस बार 3,000 सिख श्रद्धालु बैसाखी के मौके पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब जाएंगे। श्रद्धालु 11 अप्रैल को अटारी बार्डर के रास्ते पाकिस्तान के हसन अब्दाल शहर जाएंगे। यह जानकारी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGPC) के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने दी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु 21 अप्रैल वापस लौटेंगे।

सिरसा ने कहा कि जो सिख श्रद्धालु तीर्थयात्रा के इच्छुक हैं वह 15 फरवरी तक अपने पासपोर्ट डीएसजीएमसी के पास जमा कर सकते हैं। तीर्थयात्री 13 और 14 अप्रैल को गुरुद्वारा पंजा साहिब में बैसाखी मनाएंगे, इसके बाद वे गुरुद्वारा ननकाना साहिब में दर्शन करने के लिए 15 अप्रैल को एक विशेष ट्रेन के माध्यम से सिख गुरु नानक देव के जन्म स्थान ननकाना साहिब के लिए रवाना होंगे। 21 अप्रैल को अमृतसर लौटने से पहले श्रद्धालु गुरुद्वारा सच्चा सौदा और गुरुद्वारा डेरा साहिब के दर्शन करेंगे। सिरसा ने बताया कि प्रत्येक तीर्थयात्री को चार नवीनतम पासपोर्ट साइज फोटो के साथ 200 रुपये का वीजा प्रसंस्करण शुल्क देना होगा।

कहां से कितने श्रद्धालु जाएंगे

राज्य                             तीर्थयात्री

पंजाब                               1,800

दिल्ली                               555

हरियाणा                           200

पश्चिम बंगाल                     05

बिहार                               14

जम्मू-कश्मीर                     40

एतिहासिक स्थल है पंजा साहिब

यह वह एतिहासिक स्थान है, जहां गुरु नानक देव जी अपने साथी भाई बाला व मरदाना सहित पहुंचे थे। जब भाई मरदाना जी को प्यास लगी तो गुरु जी ने कुछ ही दूर पहाड़ी पर रहते महंत वली कंधारी से पानी लाने भेजा तो उन्होंने पानी देने से इन्कार कर दिया। गुरु जी ने भाई मरदाना को दो बार पानी मांगने के लिए भेजा और वली कंधारी ने कहा कि अगर उनके गुरु सचमुच ही शक्ति वाले हैं तो वह पानी का प्रबंध कर लें। ये बात भाई मरदाना ने गुरु जी को बताई, जिस पर गुरु नानक देव जी ने निकट पड़े एक पत्थर के नीचे ये पानी का चश्मा प्रकट कर दिया, जिस कारण पहाड़ी पर बैठे वली कंधारी के कुएं का पानी सूख गया और गुस्से में आकर वली कंधारी ने एक विशाल पत्थर गुरु जी तरफ फेंका, जिसे गुरु जी ने अपने हाथ का पंजा लगाकर रोक दिया। उस पत्थर पर आज भी गुरु जी के हाथ के पंजे का निशान अंकित है, जिसके श्रद्धालु श्रद्धा से दर्शन करते हैं।

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