औली की तर्ज पर चांइशील-बालचा में स्नो स्कीइंग, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

पहाड़ में पर्यटन विकास और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से बंगाण क्षेत्र के युवाओं को चांइशील घाटी में स्नो स्कीइंग का सात-दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। साल 2017 में ट्रैक ऑफ द इयर घोषित चांइशील घाटी को विभाग ने स्नो स्कीइंग के लिए चुना है। वह इसे विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थल औली की तर्ज पर विकसित करना चाहता है।

एडवेंचर विकास समिति के अध्यक्ष प्रदीप रावत की अगुआई में सीमावर्ती बंगाण क्षेत्र के 24 युवा बीते सात दिनों से बर्फ से ढकी चांइशील घाटी में स्नो स्कीइंग का प्रशिक्षण ले रहे थे। उन्हें किट और अन्य सामान पर्यटन विभाग ने उपलब्ध कराया। प्रशिक्षण शनिवार को संपन्न हुआ। पर्यटन विभाग का उद्देश्य चांइशील-बालचा को औली की तर्ज पर नए विंटर डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करना है।

समिति के अध्यक्ष रावत व सामाजिक कार्यकर्ता हरीश चौहान ने बताया कि इससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। चांइशील-बालचा में चार से पांच फीट मोटी बर्फ की परत, दूर-दूर तक फैले खूबसूरत पहाड़, जल धाराएं और दुर्लभ जड़ी-बूटियों का खजाना सैलानियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। प्रशिक्षण में प्रमोद रावत, विनोद रावत, मनमोहन सिंह चौहान, जयचंद आदि शामिल हुए।

पर्यटकों के लिए सुविधाओं की कमी नहीं 

चांइशील घाटी को ट्रैकिंग के लिए काफी पसंदीदा माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए उत्तरकाशी जिले के बंगाण क्षेत्र से आराकोट-चिंवा, देहरादून जिले के त्यूणी और शिमला जिले के रोहडू़ क्षेत्र से सड़क मार्ग और ट्रैकिंग रूट हैं। बंगाण के मांउडा, बलाउट, चिंवा, बरनाली से होकर चांइशील-बालचा के बीच ट्रैकिंग रूट पर पर्यटकों के ठहरने के लिए कई होम स्टे हैं। देहरादून से वाया चकराता और त्यूणी होकर चांइशील घाटी की दूरी करीब 200 किमी है।

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