अाज निदा खान अमित शाह से करेंगी मुलाकात, हो सकती हैं BJP में शामिल

बरेली/देहरादून। तीन तलाक और हलाला पीडि़त महिलाओं की आवाज बुलंद करने वाली निदा खान को दिल्ली से बुलावा आ गया है। वह रात या सुबह दिल्ली के लिए निकल सकती हैैं। वहां उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की संभावना है। इसी के साथ उन्हें भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा भी तेज हो गई है। निदा इससे पहले देहरादून में राज्यमंत्री रेखा आर्य और अन्य भाजपा नेताओं से मिल चुकी हैैं।

आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी बनाकर पीडि़त महिलाओं की लड़ाई लड़ रही निदा खान उलमा के फतवा जारी करने के बाद से जबर्दस्त सुर्खियों में हैैं। अचानक भाजपा की भी निदा में दिलचस्पी बढ़ गई। पार्टी नेतृत्व ने उनसे बात करने का जिम्मेदारी उत्तराखंड की राज्यमंत्री रेखा आर्य को सौंपी है। निदा खान को देहरानदून बुलाया गया था। वहां उनसे भाजपा में शामिल होने की रणनीति को लेकर विस्तार से बातचीत की गई। फोन से ही अमित शाह से भी बात कराई गई।

बुधवार को देर रात निदा के पास दिल्ली से बुलावा आया है। उनकी गुरुवार को भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात हो सकती है। सबकुछ ठीक रहा तो वह भाजपा में शामिल हो जाएंगी। चर्चा है कि भाजपा में शामिल होते ही उन्हें किसी बड़ी जिम्मेदारी देने का एलान हो सकता है। इससे पहले तीन तलाक मामले में कानूनी लड़ाई लड़कर मिसाल पेश करने वाली उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले की सायरा बानो ने भाजपा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी।

भाजपा में शामिल होने से पहले निदा ने रखी शर्त

आला हजरत खानदान की बहू रहीं निदा खान भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगी, मोटे तौर पर यह तय हो चुका है लेकिन सदस्यता वह अपनी शर्त पर ग्रहण करेंगी। वह चाहती हैैं कि भाजपा में वह राष्ट्रीय स्तर के नेता के जरिये दाखिल हो। निदा ने अपनी यह बात भाजपा नेतृत्व तक पहुंचा दी है। वहां से जवाब का इंतजार है। अपने और अपनी जैसी दूसरी तलाक पीडि़त महिलाओं के अधिकार को लड़ रही निदा खान को भाजपा प्लेटफॉर्म देना चाहती है। उससे पहले उनके सामने पार्टी में शामिल होने की शर्त लगाई गई।

मंगलवार को उत्तराखंड में वहां की मंत्री रेखा आर्य से मिली निदा ने भाजपा की इस शर्त को मान लिया है। हांलाकि इस मुलाकात में निदा और भाजपा नेताओं के बीच बहुत सी बातों पर चर्चा हुआ। उन्हें भाजपा क्या दे सकती है और क्या नहीं दे सकती, इस मुद्दे पर भी बात हुई। लंबी बातचीत में भविष्य का खाका तय हो गया। भाजपा में शामिल होने की शर्त के बाद निदा खान अपनी भी एक शर्त रखी है। वह चाहती हैैं कि उनकी भाजपा में ज्वाइनिंग स्थानीय स्तर पर नहीं हो। प्रदेश स्तर पर भी कराने के लिए तैयार नहीं हैैं।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के स्तर से ऐसा हो तो वह तैयार हैैं। निदा ने उत्तराखंड सरकार में मंत्री रेखा आर्य से यह बात कह भी दी है। उनकी इस शर्त को ऊपर पहुंचाया गया है। मेरठ में 12-13 अगस्त को भाजपा कार्यसमिति की बैठक होना है, इसमें अमित शाह भी रहेंगे। माना जा रहा है कि मेरठ में ही निदा को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करा ली जाए। आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान ने बताया कि 12 अगस्त को मेरठ ले जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलवाने का मैसेज मिला है। भाजपा में शामिल होने की बात मौके पर ही तय होगी।

बुर्का प्रथा के खिलाफ भी लड़ेंगी

उत्तराखंड की राज्यमंत्री रेखा आर्य के मुताबिक, मुलाकात के दौरान निदा खान ने फोटो खिंचवाने का आग्रह किया तो उन्होंने सुझाव दिया कि वह बुर्का प्रथा के खिलाफ भी लड़ाई लड़ें। इसके बाद ही वह उनके साथ फोटो खिंचवाएंगी। राज्यमंत्री ने बताया कि निदा खान ने उनके इस सुझाव को मान लिया है।

कौन हैं निदा

निदा खान दरगाह आला हजरत प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खा सुब्हानी मिया के छोटे भाई अंजुम मिया के बेटे शीरान रजा खा की पूर्व पत्‍‌नी हैं। उनके शौहर ने तलाक दे दिया है। यह प्रकरण कोर्ट में चल रहा है। इसके बाद निदा ने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी बनाई है, जिसके बैनर तले वे तलाक पीड़िताओं के हक की आवाज बुलंद कर रही हैं। ससुर के खिलाफ हलाला का आरोप लगाने वाली पीड़िता की लड़ाई लड़ने के कारण उनके खिलाफ इस्लाम से खारिज करने का फतवा जारी कर दिया गया था। साथ ही उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया था। जिस पर पूरे देश में बहस शुरू हो गई थी।

यह था मामला

निदा खान के खिलाफ फतवा मुफ्ती अफजाल रजवी ने जारी किया था। उनसे शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने सवाल किया था-जो हिंदा (महिला) कुरान व हदीस में जिक्र होने के बाद हलाला का इन्कार करे और उसे महिलाओं पर जुल्म करार दे, उसके लिए शरीयत का हुक्म बया किया जाए। जवाब में कहा गया था कि ऐसी महिला इस्लाम से खारिज हो जाएगी। वह तौबा नहीं करती है तो उससे हर तरह के ताल्लुकात तोड़ लिए जाएं। बीमार पड़े तो देखने न जाएं और मर जाए तो जनाजे में शिरकत नहीं करें। यहा तक कि कब्रिस्तान में दफन होने के लिए जमीन भी न दें।

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