विभागों की सुस्ती के कारण लखनऊ में बढ़ा वायु प्रदूषण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यूपी सरकार को लिखा पत्र

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में खराब हुई वायु गुणवत्ता का कारण सरकारी विभागों की सुस्ती है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लखनऊ नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद, राष्ट्रीय राजमार्ग, उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम, जल निगम, यातायात पुलिस, परिवहन विभाग व जिला प्रशासन को 20 अक्टूबर को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन इन विभागों ने ध्यान नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि लखनऊ की हवा बेहद जहरीली हो गई है। बोर्ड ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर इन विभागों से आदेशों का पालन सख्ती से कराने के लिए कहा है।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे लेकर प्रमुख सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को पत्र भेजा है। इसमें संबंधित विभागों को शासन स्तर से पत्र लिखकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है। पत्र में लिखा गया है कि संबंधित विभागों को 20 अक्टूबर को ही विस्तृत आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन इन विभागों ने प्रभावी कार्रवाई नहीं की। इस कारण लखनऊ में प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है।

लखनऊ में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नगर निगम को सड़कों की धूल नियंत्रित करने के लिए कई कार्य करने के निर्देश दिए गए थे। साथ ही शहर में कूड़ा न जले, इसके प्रभावी उपाय करने थे। नगर निगम को भवन निर्माण से निकलने वाले कचरे को भी तत्काल उठाकर निस्तारित करना था। वायु प्रदूषण बढ़ने पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत दिए गए उपाय अपनाने थे। लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास विकास परिषद, लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ को भी धूल नियंत्रित करने के लिए अपने निर्माण स्थल पर कई तरह के उपाय अपनाने थे।

यातायात पुलिस को भी चिह्नित हॉटस्पाट बिंदुओं पर ट्रैफिक जाम न होने देने व पीक ऑवर्स में वैकल्पिक मार्ग से ट्रैफिक डायवर्जन, अनाधिकृत क्षेत्रों में वाहनों की पार्किंग न होने देने, प्रदूषण प्रमाण पत्र वाले वाहनों के ही संचालन की अनुमति देने सहित कई उपाय करने के निर्देश दिए गए थे। परिवहन विभाग को भी इलेक्ट्रिक एवं बैटरी वाहनों को बढ़ावा देने, चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करने, प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने वाले केंद्रों की जांच करने, सार्वजनिक वाहनों के अधिक से अधिक प्रयोग को बढ़ावा देने व ओवरलोडिंग को नियंत्रित करने आदि के उपाय करने थे।

इसी प्रकार जिला प्रशासन को प्रदूषण नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाने, पराली जलाने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने, शहरी क्षेत्रों में डीजल जेनसेट के संचालन को न्यूनतम करने, रेस्टोरेंट-ढाबों-होटलों आदि में लकड़ी एवं कोयला का प्रयोग रोकने के लिए एलपीजी व पीएनजी गैस आपूर्ति व सिटी एयर एक्शन प्लान को संबंधित विभागों के माध्यम से प्रभावी रूप से पालन कराना था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी ने बताया कि संबंधित विभागों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए थे, लेकिन किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए अब सरकार को पत्र लिखा गया है।

महालक्ष्मी प्लाईवुड फैक्ट्री बंद करने के आदेश : लखनऊ में बढ़ते प्रदूषण को देख उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक्शन में आ गया है। सोमवार को बख्शी का तालाब सीतापुर रोड स्थित महालक्ष्मी प्लाईवुड फैक्टी को वायु प्रदूषण फैलाने के आरोप में बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए। निरीक्षण के दौरान यहां काले रंग का धुआं निकलता पाया गया। फैक्ट्री पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए 2.34 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

 

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