अब घर में ज्यादा शराब रखने के लिए लाइसेंस!

यूपी में नई आबकारी नीति को मिली मंजूरी
शराब दुकानों की लाइसेंस फीस 7.5 फीसदी बढ़ी
विभाग से 34,500 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शनिवार को वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति घोषित कर दी। राज्य सरकार ने विभाग से 34,500 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा है। नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के लाइसेंस फीस में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। विभाग द्वारा आज जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि नई आबकारी नीति को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दी गई है। नई नीति के तहत उप्र में शराब उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। सरकार अब घर में ज्यादा शराब रखने के लिए लाइसेंस जारी करेगी। इसके अलावा फुटकर दुकानों में पीओएस मशीनें लगाना और हवाई अड़्डों पर प्रीमियम रिटेल ब्रांड की उपलब्धता तथा देसी मदिरा के अधिकतम फुटकर विक्रय मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होना आदि नई नीति में शामिल है।

नई नीति में देसी मदिरा, विदेशी मदिरा की फुटकर दुकानों और माडल शॉप के लिए वार्षिक लाइसेंस फीस में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है। वहीं बीयर की फुटकर दुकानों के लाइसेंस शुल्क में कोई वृद्धि नहीं हुई है। लाइसेंस का नवीनीकरण भी पिछले वर्ष की तरह होगा। कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए दुकानों के नवीनीकरण में रियायत भी दी जाएगी। विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देना है। विभाग ने वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 के 34,500 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2020-21 में यह लक्ष्य 28,340 करोड़ रुपये का था।

नई आबकारी नीति के तहत उप्र में पहली बार चावल, गेहूं, बाजरा और मक्का जैसे अनाजों से भी देशी शराब बनाने की अनुमति दी गई है। वाइन उत्पादन को प्रोत्साहन हेतु राज्य में उत्पादित फल से प्रदेश में निर्मित वाइन आगामी पांच वर्ष के लिये प्रतिफल शुल्क से मुक्त होगी। दुकानों के खुलने व बंद होने के समय को पहले की तरह रखा गया है। होली के त्यौहार के दृष्टिमगत देशी मदिरा की नवीनीकृत फुटकर दुकानों पर उपलब्ध अवशेष देशी मदिरा स्टाक को दिनांक सात अप्रैल 2021 तक बिक्री करने की अनुमति होंगी। प्रदेश से निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु ब्राण्ड एवं लेबल अनुमोदन प्रक्रिया को सरल किया गया है। नई नीति में दुकानों के आधुनिकीकरण और प्रवर्तन कार्यों पर अधिक बल दिया गया है ताकि शराब के अवैध कारोबार को रोका जा सके और बिक्री में पारदर्शिता आए।

 

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