पांच साल में बढ़ी स्कूलों में लड़कियों की तादात, जन्म के समय लिंगानुपात में भी हुआ सुधार

 कन्या भ्रूण हत्या के प्रति लोगों की चेतना बढ़ाने और समाज में बालिकाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए महिला एंव बाल विकास मंत्रालय 24 जनवरी को 13वां राष्ट्रीय बालिका दिवस (13th National Girl Child Day) मना रहा है। मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि 2014-15 से 2018-19 तक माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में लड़कियों के सकल पंजीकरण अनुपात में सुधार हुआ है। इसके अलावा जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में भी सुधार देखा गया है।

रविवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस से पूर्व सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) आंदोलन की उपलब्धियों को साझा करते हुए मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में लड़कियों का पंजीकरण अनुपात 77.45 (2014-15) से बढ़कर 81.32 (2018-19- अस्थायी आंकड़े) हो गया है। लड़कियों के लिए कार्यशील अलग टायलेट वाले स्कूलों के प्रतिशत में भी सुधार हुआ है जो 2014-15 में 92.1 फीसद से बढ़कर 2018-19 में 95.1 फीसद (अस्थायी आंकड़े) हो गया है।

मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) में 16 प्वाइंट का सुधार हुआ है जो 918 से बढ़कर 934 हो गया है। बीबीबीपी के तहत शामिल 640 जिलों में से 422 जिलों में 2014-15 से 2018-19 तक एसआरबी में सुधार हुआ है। वर्ष 2014-15 में कुछ जिलों में एसआरबी बहुत कम था, लेकिन योजना के अमल के बाद उनमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इनमें उत्तर प्रदेश के मऊ में 694 से बढ़कर 951, हरियाणा के करनाल में 758 से बढ़कर 898, हरियाणा के महेंद्रगढ़ में 791 से बढ़कर 919, हरियाणा के रेवाड़ी में 803 से बढ़कर 924 और पंजाब के पटियाला में 847 से बढ़कर 933 हो गया है। इसके अलावा पहली बार त्रैमासिक प्रसवपूर्व देखभाल पंजीकरण में भी सुधार देखा गया है। यह 61 फीसद से बढ़कर 71 फीसद हो गया है। जबकि अस्पतालों में प्रसव 87 फीसद से बढ़कर 94 फीसद हो गया है।

 

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