दुनिया

OMG एक साथ इतनी जगह से चुनाव लड़ रहे है इमरान खान

25 जुलाई को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव होने जा रहे है जहा कुल 849 सामान्य सीटों पर 11,855 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे है. पाकिस्तान निर्वाचन आयोग की पहली सूची के अनुसार नेशनल असेंबली की 272 सामान्य सीटों पर 3,459 उम्मीदवार और चार प्रांतीय विधानसभाओं की 577 सामान्य सीटों पर 8,396 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है. नेशनल असेंबली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित की जाती है और कुल 342 सदस्य में से 272 सीधे निर्वाचित किए जाते हैं, जबकि 60 सीट महिलाओं तथा 10 सीट धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं. सूत्रों ने से मिली खबर में लिखा है कि आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार के चुनाव में 2013 के आम चुनाव के मुकाबले उम्मीदवारों की संख्या में काफी कमी आई है. 2013 में 15,629 उम्मीदवार मैदान में थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पी एम एल एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ तीन प्रांतों के चार निर्वाचन क्षेत्रों-एन ए-132 (लाहौर), एन ए-192 (डेरा गाजी खान), एन ए-249 (कराची) और एन ए-3 (स्वात) से चुनाव लड़ रहे हैं. क्रिकेटर से नेता बने और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान पांच निर्वाचन क्षेत्रों-एन ए-35 (बन्नू), एन ए-53 (इस्लामाबाद), एन ए-95 (मियांवाली), एन ए-131 (लाहौर) तथा एन ए-243 (कराची) से चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी एन ए-158 (मुल्तान) सीट से चुनाव मैदान में हैं, जबकि उनके बेटे अली मूसा गिलानी और अली कादिर गिलानी एन ए-157 और एन ए-154 सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव 25 जुलाई को होने है.

25 जुलाई को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव होने जा रहे है जहा कुल 849 सामान्य सीटों पर 11,855 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे है. पाकिस्तान निर्वाचन आयोग की पहली सूची के अनुसार नेशनल असेंबली की …

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मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री हिरासत में

राज्य विकास निधि 1एमडीबी भ्रष्टाचार मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक को मंगलवार को पुलिस हिरासत में लिया गया है. मलयेशियाई भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एमएसीसी) ने एक बयान में कहा कि नजीब को 1एमडीबी की पूर्व इकाई, एसआरसी इंटरनेशनल से जुड़ी जांच के सिलसिले में अपराह्न 2.35 बजे उनके घर से गिरफ्तार किया गया. अधिकारियों ने कहा कि नजीब पर वर्ष 2009 में उनके द्वारा स्थापित निधि से 70 करोड़ डॉलर गबन करने का आरोप है. एमएसीसी ने कहा कि नजीब को बुधवार को कुआलालंपुर अदालत में आरोपित किया जाएगा. मई में प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के हाथों हार का सामना करने के बाद से ही नजीब के खिलाफ जांच चल रही है. नजीब ने किसी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है. संपत्तियों पर छापेमारी के दौरान पुलिस द्वारा जब्त किए गए गहनों और दूसरे सामानों की कीमत को काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की बात इससे पहले 28 जून को मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक सार्वजानिक रूप से कह चुके है. मामला हाई प्रोफाइल होने से देशभर की नज़रे इस पर आ टिकी है

राज्य विकास निधि 1एमडीबी भ्रष्टाचार मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक को मंगलवार को पुलिस हिरासत में लिया गया है. मलयेशियाई भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एमएसीसी) ने एक बयान में कहा कि नजीब को 1एमडीबी की पूर्व इकाई, एसआरसी …

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मैक्सिको को 2-0 से हराकर ब्राजील क्वार्टर फाइनल

फीफा वर्ल्ड में ब्राजील ने मैक्सिको को 2-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में अपना स्थान पक्का कर लिया है. जर्मनी को टूर्नामेंट से बाहर करवाने में अहम् भूमिका निभाने वाली मैक्सिको की टीम पांच बार के चैम्पियन ब्राजील के सामने बेबस नज़र आई. स्टार खिलाड़ी नेमार भी आज पुरे रंग में दिखे और 51वें मिनट में उन्होंने टीम के लिए पहला गोल दागा, वर्ल्ड कप में नेमार की गोलों की संख्या अब 6 हो गई है. ब्राजील की ओर से नेमार ने अब तक 89 मैचों में 57 गोल दागे हैं. जबकि स्थानापन्न रॉबर्टो फर्मिनो ने 88वें मिनट में ब्राजील को निर्णायक बढ़त दिलवा दी और मैक्सिको को बाहर का रास्ता दिखाया. नेमार ने दूसरा गोल करने में फर्मिनो का साथ भी निभाया. ब्राजील अब क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम से शुक्रवार को मुकाबले में आमने सामने होगा. इस मैच ने रेकॉर्ड को भी पलटा है - मैक्सिको के खिलाफ मैच में ब्राजील ने दो गोल किये और अब वो वर्ल्ड कप में गोल करने के मामले में शीर्ष पर आ गया है . 228 गोल: ब्राजील 226 गोल : जर्मनी 137 गोल : अर्जेंटीना 128 गोल: इटली 113 गोल: फ्रांस

फीफा वर्ल्ड में ब्राजील ने मैक्सिको को 2-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में अपना स्थान पक्का कर लिया है. जर्मनी को टूर्नामेंट से बाहर करवाने में अहम् भूमिका निभाने वाली मैक्सिको की टीम पांच बार के चैम्पियन ब्राजील के सामने …

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लंदन से न्‍यूयॉर्क की 8 घंटे की दूरी इस विमान में सिर्फ 2 घंटे में होगी तय

खास होगा निर्माण ऐसे विमानों के निर्माण में कॉर्बन नैनोट्यूब और बोरोन नाइट्राइड नैनोट्यूब सामग्री का इस्तेमाल होता है। यह सामग्री स्टील से अधिक मजबूत होती है और गर्मी को बर्दाश्त कर सकती है। कॉर्बन नैनोट्यूब 400 डिग्री तापमान झेल सकता है। वहीं बीएनएनटी 900 डिग्री का तापमान झेल सकता है। यह उच्च दबाव को भी झेल सकता है और बहुत ही हल्का होता है।

महज कल्पना करके कोई भी सिहर सकता है कि जिस लंदन से न्यूयॉर्क की हवाई यात्रा में अभी आठ घंटे लगते हैं, उसे भविष्य में सिर्फ दो घंटे में ही पूरा किया जा सकेगा। अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग यह कमाल …

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ब्रिटिश रक्षा मंत्री का आरोप, सीतारमण के व्‍यवहार को देख वार्ता को किया रद्द

ब्रिटिश रक्षा मंत्री गेविन विलियमसन पर अपनी भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण को महत्व न देने का आरोप लगा है। इसके चलते विलियमसन कैबिनेट के अपने साथियों के निशाने पर आ गए हैं। सीतारमण हाल में ब्रिटेन-भारत सप्ताह में भाग लेने के लिए लंदन गई थीं। द संडे टाइम्स के अनुसार निर्मला सीतारमण 20 से 22 जून तक ब्रिटेन के दौरे पर थीं। इस दौरान उनसे मुलाकात के लिए भारतीय अधिकारियों ने रक्षा मंत्री विलियमसन से समय निश्चित किया था, लेकिन ऐन मौके पर विलियमसन ने यह मुलाकात रद कर दी। इस पर उनके साथी विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन और एक अन्य मंत्री ने सवाल उठाया है। विलियमसन को भारत और सीतारमण के महत्व के बारे में बताया। बताया कि भारत दुनिया में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है जिसका रक्षा बजट 50 अरब डॉलर का है। ऐसे में उसकी अनदेखी करना उचित नहीं है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस मीडिया रिपोर्ट या विलियमसन के मुलाकात रद्द करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है, लेकिन रक्षा संबंधों पर अगले सप्ताह ब्रिटेन के साथ होने वाली वार्ता रद्द कर दी है। उल्लेखनीय है कि भारत ब्रिटेन का 17 वां सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। दोनों देशों के बीच बीते वित्त वर्ष में 16 अरब पाउंड (1.45 लाख करोड़ रुपये) का कारोबार हुआ। लंदन और बकिंघमशायर में 18 से 22 जून तक ब्रिटेन-इंडिया वीक आयोजित करने वाले मनोज लाडवा ने कहा है कि विलियमसन अगर सीतारमण से मुलाकात करते तो अच्छा होता। यह मुलाकात न होने से कुछ नुकसान तो हुआ।

ब्रिटिश रक्षा मंत्री गेविन विलियमसन पर अपनी भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण को महत्व न देने का आरोप लगा है। इसके चलते विलियमसन कैबिनेट के अपने साथियों के निशाने पर आ गए हैं। सीतारमण हाल में ब्रिटेन-भारत सप्ताह में भाग लेने …

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आतंकी हमले के बाद अफगानी सिख बोले, अब हम यहां नहीं रह सकते

अफगानिस्तान के पूर्वी शहर जलालाबाद में रविवार को हिंदू-सिख समुदाय पर हुए आत्मघाती हमले के बाद अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोग देश छोड़कर भारत जाने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे अब अफगानिस्तान में नहीं रह सकते। इस हमले में अक्टूबर में होने वाले संसदीय चुनाव के एक मात्र सिख उम्मीदवार अवतार सिंह खालसा और समुदाय के प्रमुख कार्यकर्ता रवैल सिंह भी मारे गए। अफगानिस्तान में "नेशनल पैनल ऑफ हिंदू एंड सिख" के सचिव तेजवीर सिंह (35) ने कहा, "मेरा स्पष्ट मत है कि अब हम यहां नहीं रह सकते। इस्लामी आतंकवादी हमारी धार्मिक मान्यताओं को सहन नहीं करेंगे। हम अफगानी हैं। सरकार हमें मान्यता देती है, लेकिन आतंकवादी हमें निशाना बनाते हैं क्योंकि हम मुस्लिम नहीं हैं।" तेजवीर के अंकल भी रविवार को हुए हमले में मारे गए हैं। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में अब सिख परिवार 300 से भी कम रह गए हैं। सिखों के देश में सिर्फ दो ही गुरुद्वारे हैं। एक जलालाबाद में तो दूसरा राजधानी काबुल में। 1990 में गृह युद्ध शुरू होने से पहले अफगानिस्तान में करीब 2.5 लाख हिंदू और सिख रह रहे थे। यहां तक कि एक दशक पहले तक अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वहां लगभग तीन हजार हिंदू और सिख रह रहे थे। लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व और धार्मिक आजादी के बावजूद इस्लामी आतंकी समूहों की ओर से उन्हें पूर्वाग्रह, उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ा। लिहाजा समुदाय के हजारों लोग भारत पलायन कर गए। जलालाबाद में किताबों और कपड़ों की दुकान चलाने वाले बलदेव सिंह कहते हैं, "हमारे पास दो विकल्प हैं, या तो भारत चले जाएं या इस्लाम अपना लें। "हम कायर नहीं" हालांकि, कुछ सिखों का अफगानिस्तान छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। उनमें से एक, और काबुल में दुकान चलाने वाले संदीप सिंह ने कहा, "हम कायर नहीं हैं। अफगानिस्तान हमारा देश है और हम कहीं नहीं जा रहे हैं।" आईएस ने ली जिम्मेदारी रविवार को हुए हमला आतंकी संगठन "इस्लामिक स्टेट" (आईएस) ने किया था। संगठन ने सोमवार को एक बयान जारी कर इस हमले की जिम्मेदारी ली। "अशरफ गनी को मौत, सरकार को मौत" के लगे नारे हमले में मारे गए लोगों के ताबूत सोमवार को जब एंबुलेंस में रखे जा रहे थे तो समुदाय के शोकाकुल लोगों ने "अशरफ गनी को मौत, सरकार को मौत" के नारे लगाए। अवतार सिंह के पुत्र नरेंद्र सिंह ने कहा, "इस हमले में हमारे कई ऐसे बुजुर्ग मारे गए जो अपने देश को किसी भी अन्य चीज से ज्यादा प्यार करते थे। हम प्रत्यक्ष निशाना थे। लेकिन सरकार वास्तव में हमारी कोई परवाह नहीं करती।" अफगानी राष्ट्रपति ने जताया शोक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने हमले में मारे गए हिंदू-सिखों के परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त कीा है। उन्होंने कहा, "जलालाबाद हमले में मारे गए हमारे अफगान नागरिकों के परिवारों के लिए हमारे दिलों में बेहद दुःख है। हमारे स्वाभिमानी और उदार अफगान सिखों के निधन से मैं बेहद दुखी हूं। उनमें से कई से मुझे कई बार बातचीत का सम्मान मिला था। मैं अपने साथी अफगान नागरिकों से कहना चाहता हूं कि वे जरूरतमंदों की ओर मदद का हाथ बढ़ाएं। इस मुश्किल वक्त से निकलने में मदद के लिए मैं हर मुमकिन कार्य करूंगा।"

अफगानिस्तान के पूर्वी शहर जलालाबाद में रविवार को हिंदू-सिख समुदाय पर हुए आत्मघाती हमले के बाद अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोग देश छोड़कर भारत जाने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे अब अफगानिस्तान में नहीं रह …

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भुट्टो के बाद अब शरीफ को खत्म करना चाहती है पाकिस्तान सेना

पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं प्रभावित करने मे लगी हैं. लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच एक अदृश्य ताकत भी है जो पाकिस्तान के चुनाव परिणामों पर बड़ा असर डाल सकती है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के 'डीप स्टेट' की. दरअसल 'डीप स्टेट' किसी भी राज्य की वो अवधारणा है जिसमें सेना, खुफिया विभाग और नौकरशाही परदे के पीछे से राज्य की नीतियों को प्रभावित करते हैं. जबकि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार एक मुखौटा भर होती है. मेमोगेट स्कैंडल मे गिरफ्तारी का खतरा झेल रहे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी का aajtak.in से बातचीत में कहना है कि इस बार पाकिस्तान चुनावों के इमानदारी से होने की संभावना कम है. पाकिस्तानी सेना वहां की न्यायपालिका की मदद से पंजाब प्रांत के सबसे ताकतवर नेता नवाज़ शरीफ की पीएमएल-एन की हार सुनिश्चित करने मे लगी है. पाकिस्तान की न्यायपालिका ने नवाज़ शरीफ को अयोग्य घोषित करने के साथ-साथ पीएमएल-एन के कई उम्मीद को अयोग्य घोषित कर दिया है. वहीं पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग के अधिकारी पीएमएल-एन के बड़े नेताओं को पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल धमकी दे रहे हैं. चुनावों के ठीक पहले मीडिया की आजादी पर भी लगाम लगा दी गई है. इसे पढ़े: चुनावी मोड में पाकिस्तान, शरीफ जीतेंगे या इमरान? हक्कानी का कहना है कि पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद मे ऐसी सरकार चाहती है जो सेना के हुक्मों पर चले न कि ऐसी सरकार जिसे जनता विश्वास प्राप्त है. हांलाकि पाकिस्तानी सेना के इस तरह के प्रयोग अब तक व्यर्थ ही गए हैं. पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए हक्कानी कहते हैं कि जब 1970 में पाकिस्तान के पहले आम चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की आवामी लीग के नेता शेख़ मुजीबुर रहमान ने रिकार्ड बहुमत हासिल किया तो पाकिस्तानी सेना के वेजह हस्तक्षेप के कारण ही बांग्लादेश बना और पाक के दो टुकड़े हो गए. इसके बाद 90 के दशक में सेना की पूरी ताकत पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की अध्यक्षता वाली पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी (पीपीपी) की बढ़ती लोकप्रियता को कमतर करने में लगी रही. जिस के लिए भुट्टो के बरक्स सेना ने नवाज़ शरीफ को खड़ा किया. ह्क्कानी कहते हैं कि अब तीन दशक बाद जब सेना पीपीपी के प्रभाव को लगभग खत्म कर चुकी है तो उसने खुद के द्वारा खड़ा किये हुए नवाज़ शरीफ की पीएमएल-एन को खत्म करने मे अपनी पूरी ताकत झोक दी है. हक्कानी का कहना है कि 25 जुलाई को होने वाले चुनावो का परिणाम जो भी हो लेकिन स्वभाविक तौर पर ये पाकिस्तान में अस्थिरता लाएगा. अगर डीप स्टेट के पिट्ठू पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और उसके सहयोगी जीत भी जाते हैं तो उनकी कोई विश्वसनियता नही होगी. लिहाजा इस चुनाव मे जीते कोई भी लेकिन हार पाकिस्तान की जनता और लोकतंत्र की होगी.पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं प्रभावित करने मे लगी हैं. लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच एक अदृश्य ताकत भी है जो पाकिस्तान के चुनाव परिणामों पर बड़ा असर डाल सकती है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के 'डीप स्टेट' की. दरअसल 'डीप स्टेट' किसी भी राज्य की वो अवधारणा है जिसमें सेना, खुफिया विभाग और नौकरशाही परदे के पीछे से राज्य की नीतियों को प्रभावित करते हैं. जबकि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार एक मुखौटा भर होती है. मेमोगेट स्कैंडल मे गिरफ्तारी का खतरा झेल रहे अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी का aajtak.in से बातचीत में कहना है कि इस बार पाकिस्तान चुनावों के इमानदारी से होने की संभावना कम है. पाकिस्तानी सेना वहां की न्यायपालिका की मदद से पंजाब प्रांत के सबसे ताकतवर नेता नवाज़ शरीफ की पीएमएल-एन की हार सुनिश्चित करने मे लगी है. पाकिस्तान की न्यायपालिका ने नवाज़ शरीफ को अयोग्य घोषित करने के साथ-साथ पीएमएल-एन के कई उम्मीद को अयोग्य घोषित कर दिया है. वहीं पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग के अधिकारी पीएमएल-एन के बड़े नेताओं को पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ में शामिल धमकी दे रहे हैं. चुनावों के ठीक पहले मीडिया की आजादी पर भी लगाम लगा दी गई है. इसे पढ़े: चुनावी मोड में पाकिस्तान, शरीफ जीतेंगे या इमरान? हक्कानी का कहना है कि पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद मे ऐसी सरकार चाहती है जो सेना के हुक्मों पर चले न कि ऐसी सरकार जिसे जनता विश्वास प्राप्त है. हांलाकि पाकिस्तानी सेना के इस तरह के प्रयोग अब तक व्यर्थ ही गए हैं. पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए हक्कानी कहते हैं कि जब 1970 में पाकिस्तान के पहले आम चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की आवामी लीग के नेता शेख़ मुजीबुर रहमान ने रिकार्ड बहुमत हासिल किया तो पाकिस्तानी सेना के वेजह हस्तक्षेप के कारण ही बांग्लादेश बना और पाक के दो टुकड़े हो गए. इसके बाद 90 के दशक में सेना की पूरी ताकत पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की अध्यक्षता वाली पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी (पीपीपी) की बढ़ती लोकप्रियता को कमतर करने में लगी रही. जिस के लिए भुट्टो के बरक्स सेना ने नवाज़ शरीफ को खड़ा किया. ह्क्कानी कहते हैं कि अब तीन दशक बाद जब सेना पीपीपी के प्रभाव को लगभग खत्म कर चुकी है तो उसने खुद के द्वारा खड़ा किये हुए नवाज़ शरीफ की पीएमएल-एन को खत्म करने मे अपनी पूरी ताकत झोक दी है. हक्कानी का कहना है कि 25 जुलाई को होने वाले चुनावो का परिणाम जो भी हो लेकिन स्वभाविक तौर पर ये पाकिस्तान में अस्थिरता लाएगा. अगर डीप स्टेट के पिट्ठू पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और उसके सहयोगी जीत भी जाते हैं तो उनकी कोई विश्वसनियता नही होगी. लिहाजा इस चुनाव मे जीते कोई भी लेकिन हार पाकिस्तान की जनता और लोकतंत्र की होगी.

पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से मतदाताओं प्रभावित करने मे लगी हैं. लेकिन इस चुनावी सरगर्मी के बीच एक अदृश्य ताकत भी है जो पाकिस्तान के चुनाव परिणामों पर बड़ा असर …

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खराब मौसम के चलते मानसरोवर तीर्थयात्री नेपाल में फंसे

मानसरोवर तीर्थयात्री नेपाल में फंसे

मानसरोवर की यात्रा से लौट रहे तीर्थयात्री नेपाल के नेपालगंज और सिमिकोट में खराब मौसम के चलते फंस गए हैं. इन तीर्थयात्रियों को वहां से निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही चिकित्सा सुविधा और खाने-पीने …

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शार्क ने महिला को पानी में खींचकर जख्मी किया

शार्क ने महिला को पानी में खींचकर जख्मी किया

उत्तर-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में शार्क को कुछ खिलाने की कोशिश कर रही एक महिला की ऊंगली काटकर शार्क ने जख्मी कर दिया और वो बाल-बाल बचीं. मेलिसा ब्रूनिंग नाम की इस महिला ने बताया कि जब वो पर्थ के उत्तर में …

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पाकिस्तान की जेलों में बंद 471 कैदियों की सूची भारत को सौंपी

पकिस्तान जेलों में बंद 471 कैदियों की सूची रविवार को पड़ोसी देश ने भारतीय उच्चायुक्त को सौंप दी है। इसमें 418 मछुआरों के अलावा 53 ऐसी कैदी शामिल हैं, जो अवैध तरीके से पाकिस्तानी जल सीमा लांघने के चलते बंदी बना लिए गए थे। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच 21 मई 2008 को हुए समझौते के तहत यह सूची जारी की गई है। गौरतलब है कि समझौते के तहत साल में दो बार यानी पहली जनवरी और पहली जुलाई को दोनों ही देशों को बंदी बनाए गए नागरिकों की सूची एक-दूसरे से साझा करनी होती है। बयान में उम्मीद जताई गई है कि भारत भी जल्द ही पाकिस्तानी उच्चायोग को भारतीय जेलों में बंद कैदियों की सूची सौंप देगा।

पकिस्तान जेलों में बंद 471 कैदियों की सूची रविवार को पड़ोसी देश ने भारतीय उच्चायुक्त को सौंप दी है। इसमें 418 मछुआरों के अलावा 53 ऐसी कैदी शामिल हैं, जो अवैध तरीके से पाकिस्तानी जल सीमा लांघने के चलते बंदी …

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