शिक्षा

वरदान या अभिशाप? एनईपी 2024 की वास्तविकता को डिकोड करना

 विजय गर्ग  एनईपी 2024, एनईपी 2020 का उत्तराधिकारी है, जिसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को व्यापक रूप से पुनर्जीवित करना है। यह प्री-स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव करता है। …

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टिप्स और ट्रिक्स  क्रैक फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई)-2025

विजय गर्ग   फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने के इच्छुक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल स्नातकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। परीक्षा उन उम्मीदवारों की योग्यता और ज्ञान का आकलन करती है जिन्होंने विदेश में अपनी …

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विज्ञान धारा योजना: ग्रामीण शिक्षा में विज्ञान के महत्व को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल

विजय गर्ग   भारत जैसे विकासशील देश के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व अत्यधिक है। विकास के इस युग में विज्ञान ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में विज्ञान शिक्षा का विकास …

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शिक्षा में शक्ति गुणक के रूप में प्रौद्योगिकी

विजय गर्ग शिक्षा ने प्रौद्योगिकी को जन्म दिया और प्रौद्योगिकी ने शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों को बढ़ावा देने में “फोर्स मल्टीप्लायर” प्रभाव देकर कई मायनों में शिक्षा में क्रांति ला दी। कोविड-19 महामारी ने शैक्षिक प्रणाली में क्रांति लाने में …

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छात्र विकास, नेतृत्व के लिए आवश्यक रणनीतियाँ

विजय गर्ग  सार्वजनिक रूप से बोलने से छात्रों का विकास और नेतृत्व बढ़ता है, लेकिन ग्लोसोफोबिया अक्सर उनकी क्षमता में बाधा डालता है। चूँकि 77% व्यक्ति इस डर का सामना कर रहे हैं, शैक्षिक सेटिंग में इससे निपटना उनकी उन्नति …

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एक देश एक शिक्षा प्रणाली

विजय गर्ग आरक्षण से 75 साल में नहीं बल्कि 7500 साल में भी सबको समान अवसर नहीं मिलेगा। सबको समान अवसर उपलब्ध कराना है तो 12वीं तक समान शिक्षा (एक देश एक शिक्षा बोर्ड और एक देश एक पाठ्यक्रम) लागू …

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वर्ष 2024 में भारत में कई उच्च-स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं में गड़बड़ियों में वृद्धि  चिंताजनक  है।

विजय गर्ग  वर्ष 2024 में भारत में स्नातक के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी यूजी), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) और सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) सहित कई उच्च-स्तरीय परीक्षाओं में चूक में चिंताजनक वृद्धि …

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आजादी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में हम कहां से कहां पहुंचे ?

विजय गर्ग अंग्रेजों ने भारत में शिक्षा को कुछ चुने हुए लोगों तक ही सीमित रखने की नीति अपना रखी थी। उन्हें सिर्फ ऐसी शिक्षा व्यवस्था से वास्ता था, जिससे उनका काम चल जाए, उसमें कोई दिक्कत ना आए। बाकी …

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*युवा शक्ति के प्रतीक एवं प्रेरणा-स्रोत आईपीएस मनुमुक्त ‘मानव’, जिन्हें एक दशक बाद भी भुला पाना संभव नहीं*

*नियति* का यह कैसा दुखद विधान है कि विशिष्ट प्रतिभाओं को यहाँ अत्यल्प जीवन ही मिलता है। आदि शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, श्रीनिवास रामानुजन, भारतेंदु हरिश्चंद्र और रांगेय राघव तक, एक लंबी सूची है ऐसे महापुरुषों‌ की, …

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आज सारी दुनिया मना रही है पुरुष दिवस

डॉ घनश्याम बादल : स्त्रियों के प्रति सहानुभूति जमाने का दस्तूर रहा है और स्वयं स्त्रियां भी अपने आप को अबला, निरीह त्रस्त और भी न जाने क्या-क्या कहकर प्रस्तुत करती रही हैं । स्त्रियों को महत्व देने के लिए …

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