पंचायत के बाद उन्होंने आईएएनएस से कहा, जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी तब तक आंदोलन चलते रहेंगे। सरकार पुलिस बल का प्रयोग करती रहती है। बिना पुलिस बल के कोई आंदोलन होता है। बिना पुलिस बल के तो समझौते होते हैं। हमारी रणनीति यह है कि हम जल्दी ही मीटिंग करेंगे और इस पर आगे का फैसला लेंगे। जहां किसानों को रोका जा रहा है, हम वहां से ही आंदोलन करेंगे। यहां जो भी निर्णय होगा, हम सब बैठकर उसी पर कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वे बैठकर किसानों से बातचीत करें। देश में सब चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन किसानों की जमीन के सर्किल रेट क्यों नहीं बढ़ रहे? क्या किसान की जमीन सस्ती हो जाएगी? यह एक बड़ा मुद्दा है, और अगर सरकार इसका समाधान नहीं करती है तो आंदोलन पूरे देश में चलेंगे। विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग मुद्दे हैं, जैसे यहां भूमि अधिग्रहण का मुद्दा, तो कहीं एमएसपी गारंटी कानून, फसलों के दाम, और जंगलों के मुद्दे हैं। कुछ स्थानों पर छात्रों पर लाठीचार्ज हो रहे हैं। हर जगह पर इन मुद्दों के समाधान के लिए समितियां बनी हुई हैं। यहां गौतमबुद्ध नगर में भी इससे संबंधित मुद्दे हैं। सरकार को इन सभी मुद्दों पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए और हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह किसानों की मांगों के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहेंगे। इस दौरान पंचायत में किसानों से बातचीत के लिए प्रशासन का एक प्रतिनिधिमंडल भी पहुंचा, जिसकी अगुवाई यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र कुमार ने की।
प्रशासन के अधिकारियों और किसानों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत चली। इस दौरान प्रशासन ने किसानों के मुद्दों पर अब तक किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी। साथ ही यह तय हुआ कि 7 जनवरी को नए साल में तीनों प्राधिकरण के सीईओ, गौतमबुद्ध नगर के जिला अधिकारी और पुलिस कमिश्नर के साथ किसानों की बैठक होगी, जिसमें किसानों की सभी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
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