नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम : सबरीमाला में भगवान अयप्पा के मंदिर परिसर में रविवार की रात पुलिस की कार्रवाई के विरोध में सोमवार को राज्य के अनेक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए और मुख्यमंत्री पी. विजयन को कोझीकोड में काले झंडे दिखाए गए। इस बीच सबरीमाला मंदिर की देखरेख करने वाले त्रावणकोर देवाश्वम बोर्ड ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर अनुरोध किया कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने संबंधी फैसले को लागू करने के लिए उसे कुछ और समय दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि फिलहाल वह न्यायालय के फैसले के अनुरूप महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा देने की स्थिति में नही है। करीब एक हजार महिलाओं ने मंदिर में दर्शन पूजन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि सबरीमाला मंदिर में 15 हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती करने का क्या औचित्य है। न्यायालय ने श्रद्धालुओं के मंदिर में आने और दर्शन पूजन करने के संबंध में लागू किए गए प्रतिबंधों की भी आलोचना की।
सबरीमाला मंदिर में गत रविवार की रात मंदिर के कपाट बंद होने के बाद पुलिस अधिकारियों ने अयप्पा भक्तों से परिसर खाली करने के लिए कहा। इस पर पुलिस और अयप्पा भक्तों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई तथा पुलिस ने करीब 70 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस कार्रवाई की खबर फैलते ही राज्य के विभिन्न स्थानों पर लोग सड़कों पर उतर आए और पुलिस कार्यालयों के समक्ष धरना दिया। तिरुवनंतपुरम में मुख्यमंत्री आवास के सामने भी लोगों ने नामजप करते हुए धरना दिया। मुख्यमंत्री सोमवार को जब कोझीकोड में केरल श्रमजीवी पत्रकार संघ के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे तो प्रदर्शनकारियों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। कुछ लोग मुख्यमंत्री की कार के सामने कूद गए। पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया। विजयन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोग सबरीमाला को संघर्ष का अखाड़ा बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के सामने उच्चतनम न्यायालय का आदेश लागू करने के सिवाय कोई और चारा नहीं है।
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