नई दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बायो प्लास्टिक को लॉन्च किया। गुरुवार को विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव अभय करंदीकर सहित कई देशों के राजनयिक, पर्यावरण विद और पर्यावरण को संरक्षित बनाने में लगी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस अवसर पर कंपनी (उखी इंडिया) के प्रबंध निदेशक विशाल विवेक ने बताया कि वर्ष 2019 में दो और सहयोगियों संदीप त्यागी और प्रियंका सिंह के सहयोग से यह स्टार्ट अप शुरू हुआ। उन्होंने देखा कि सामान्य दिनचर्या में उपयोग होने वाली प्लास्टिक कभी नष्ट नहीं होती, बल्कि और समस्या बन जाती है। बायो प्लास्टिक किसानों द्वारा उत्पादित भूसी, उच्छ घास आदि द्वारा बनाई जाती है। इसका उपयोग सामान्य प्लास्टिक के जैसा ही होता है। एक समय के बाद वह स्वतः नष्ट हो जाता है। हमने इसके उत्पादन के लिए आईआईटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग और कई संस्थानों से सहयोग मिलने उपरांत किया है। इस तकनीकी से किसान, व्यवसाय, पर्यावरण और बायो इकोनॉमी में प्रमुखता से लाभ होगा।
इस उत्पाद की विशेषता है कि इसे आईआईटी मंडी और दिल्ली ने सराहा है। कंपनी का दावा है 180 दिनों में इस प्लास्टिक के उत्पाद स्वतः खत्म होना शुरू हो जाते हैं। कंपनी को कई ई-कॉमर्स कंपनी से ऑर्डर मिल रहे हैं। भारत में हर साल लगभग 9.46 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है। सिंगल यूज प्लास्टिक से सभी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। बायो प्लास्टिक के उपयोग से किसानों की आर्थिक स्थिति सही होगी, फसलों की सहायता से ही प्लास्टिक बना ली जाएगी और बाहर से इंपोर्ट होने वाली बायो प्लास्टिक को कीमत भी कम रहेगी।
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