रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्यसभा में नोटिस ऑफ मोशन दिया, चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चर्चा की मांग

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्यसभा में चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए नियम 267 के तहत नियम निलंबन का नोटिस दिया।

सुरजेवाला ने राज्यसभा के महासचिव को लिखे पत्र में कहा है कि वे 12 अगस्त को सदन में निर्धारित शून्यकाल, प्रश्नकाल और दिन के अन्य कार्यों को स्थगित कर केवल इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं।

अपने नोटिस में सुरजेवाला ने कहा, सदन को चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता को लेकर गंभीर चिंताओं पर विचार करना चाहिए। खासतौर पर, बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों, पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया के लागू की जा रही व्यवस्थाओं के कारण पहले से ही हाशिए पर खड़े समुदायों को मतदाता सूची से बाहर करने की घटनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा केवल तकनीकी नहीं बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा सवाल है और यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो इससे देश में चुनावी व्यवस्था पर जनता का भरोसा डगमगा सकता है।

नियम 267, राज्यसभा के कार्य संचालन के नियमों के तहत, किसी भी सांसद को यह अधिकार देता है कि वह सदन की मौजूदा कार्यसूची को स्थगित कर किसी तात्कालिक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा की मांग कर सके। सुरजेवाला का यह कदम विपक्ष की उस व्यापक चिंता का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें हाल के दिनों में मतदाता सूची में अनियमितताओं, नाम कटने और संवेदनशील वर्गों के अधिकारों पर खतरे के मुद्दे उठाए गए हैं।

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब देश में मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

इससे पहले, 6 अगस्त को रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए राज्य सभा में नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव पेश कर इस पर चर्चा की मांग की है। इस प्रस्ताव में उन्होंने सदन के शून्यकाल, प्रश्नकाल और अन्य कार्यों को निलंबित कर चुनावी प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों पर तत्काल चर्चा की मांग की थी।

अपने प्रस्ताव में सुरजेवाला ने कहा था कि मतदाता सूची से कुछ समुदायों को बाहर किए जाने की खबरें चिंताजनक हैं। उन्होंने पारदर्शिता की कमी और सुरक्षा उपायों के अभाव पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा है। उनका कहना था कि सदन को इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करना चाहिए ताकि चुनाव में उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

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