संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया पर विदेश मंत्री ने उठाए सवाल

नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। भारतीय डाक विभाग ने इस स्मारक टिकट के डिज़ाइन के लिए एक खुली प्रतियोगिता का आयोजन किया था।

 

विदेश मंत्री ने मंत्रालय में आयोजित कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में वैश्विक दक्षिण की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाले सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के आदर्शों और व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

 

उन्होंने कहा, “हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है। इसकी निर्णय प्रक्रिया न तो इसके सदस्यों को प्रतिबिंबित करती है और न ही वैश्विक प्राथमिकताओं को संबोधित करती है।” उन्होंने कहा कि किसी भी सार्थक सुधार में प्रक्रिया के माध्यम से ही बाधा उत्पन्न होती है। अब वित्तीय बाधाएं एक अतिरिक्त चिंता का विषय बनकर उभरी हैं।

 

संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली में खामियों का उदाहरण देते हुए जयशंकर ने आतंकवाद के प्रति प्रतिक्रिया का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जब सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य उसी संगठन का खुलेआम बचाव करता है जो पहलगाम जैसे बर्बर आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी लेता है, तो इससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ता है? उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा केवल दिखावटी बातें बनकर रह गई हैं, विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति की दुर्दशा और भी गंभीर है। सतत विकास लक्ष्य एजेंडा 2030 की धीमी गति वैश्विक दक्षिण के संकट को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है।

 

जयशंकर ने साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भारत के विश्वास को दोहराया और कहा कि वास्तव में इसे नवीनीकृत किया जाना चाहिए। इसी भावना से हम सभी इस अवसर को मनाने और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए एकत्रित

हुए हैं।

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