मिथिलांचल बना रणनीति का केंद्र, महिला मतदाताओं पर टिकी सियासी उम्मीदें

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच महिला मतदाता इस बार सत्ता की कुंजी बन गई हैं। एनडीए ने जहां महिला सशक्तिकरण और आस्था दोनों को केंद्र में रखकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार की है, वहीं माता सीता मंदिर निर्माण का वादा भाजपा-जदयू गठबंधन का सबसे बड़ा ‘इमोशनल कार्ड’ बनकर उभरा है। मिथिलांचल में सीतामढ़ी के पुनौराधाम को हिंदुत्व और विकास दोनों के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है।

 

महिला मतदाता शारदा देवी कहती हैं कि एनडीए सरकार महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा व स्वावलंबन की गारंटी है। साथ ही इस बार सीता मईया का भव्य मंदिर भी बनेगा। उनका मानना है कि सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित माता सीता के सम्मान का बीड़ा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उठाया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही एनडीए की सरकार बनेगी, पुनौराधाम में सीता मईया का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।

 

बीते 8 अगस्त को सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम स्थित माता सीता की जन्मस्थली पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में मंदिर का शिलान्यास हुआ था। इस आयोजन ने न केवल मिथिलांचल को धार्मिक दृष्टि से नई पहचान दी, बल्कि इसे हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया। राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा-जदयू गठबंधन का रणनीतिक ‘मास्टरस्ट्रोक’ मानते हैं।

 

अहमदाबाद में आयोजित ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव 2025’ में अमित शाह ने घोषणा की थी कि सीतामढ़ी में माता सीता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहरसा की चुनावी रैली में कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब पुनौराधाम में मां जानकी का भव्य मंदिर बनकर तैयार होगा।

 

विपक्ष भी इस धार्मिक विमर्श को भुनाने की कोशिश में है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार बीजेपी पर ‘राम की पूजा कर सीता को छोड़ देने’ का आरोप लगाते रहे हैं। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ तथा जानकी मंदिर में दर्शन को विपक्ष का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड माना जा रहा है, जो भाजपा के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति है।

 

राजनीतिक विश्लेषक लव कुमार मिश्र कहते हैं कि अमित शाह ने गुजरात में ‘शाश्वत मिथिला महोत्सव’ के दौरान मिथिलांचल के महत्व को गहराई से समझा है। सीता मंदिर के बहाने भाजपा का फोकस इस क्षेत्र पर है, जिसे अयोध्या के पूरक धार्मिक केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

 

उन्होंने बताया कि मिथिलांचल, जो कभी लालू प्रसाद यादव का गढ़ था, अब एनडीए के प्रभाव में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 60 सीटों वाले इस क्षेत्र में एनडीए ने 40 सीटें जीती थीं। अकेले सीतामढ़ी की पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर एनडीए और दो पर राजद का कब्जा है। इस बार अमित शाह का लक्ष्य केवल 2020 के प्रदर्शन को दोहराना नहीं, बल्कि मंदिर निर्माण के प्रभाव को पूरे बिहार तक फैलाना है।

 

11 महीने में बनेगा भव्य सीता मंदिर

 

पुनौराधाम में शक्तिस्वरूपा मां जानकी का मंदिर 68 एकड़ से अधिक भूमि पर ₹890 करोड़ की लागत से तैयार होगा। इसमें ₹137 करोड़ मौजूदा मंदिर के जीर्णोद्धार, ₹728 करोड़ परिक्रमा पथ और अन्य परियोजनाओं पर खर्च होंगे। मंदिर निर्माण 11 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है।

 

नीतीश सरकार पहले ही सीता जन्मस्थान के विकास के लिए ₹72 करोड़ की मंजूरी दे चुकी है। प्रस्तावित परिसर में 151 फीट ऊँचा मुख्य मंदिर, परिक्रमा पथ, यज्ञ मंडप, संग्रहालय, ऑडिटोरियम, धर्मशाला, कैफेटेरिया, सीता वाटिका, लव-कुश वाटिका और ‘मां जानकी कुंड’ का सौन्दर्यीकरण जैसी सुविधाएं होंगी।

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