नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू की मौजूदगी में एयरबस और गति शक्ति विश्‍वविद्यालय ने किया समझौता

नई दिल्‍ली : एयरोस्पेस उद्योग में वैश्विक अग्रणी एयरबस और गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) ने गुरुवार को यहां भारत में अपशिष्ट से टिकाऊ विमानन ईंधन अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए एक समझौता किया। इस अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू किंजरापु भी मौजूद रहे।

 

एयरबस ने जारी एक बयान में कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) के साथ अपशिष्ट पदार्थों को सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) में परिवर्तित करने पर केंद्रित एक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए एक संयुक्त अध्ययन समझौते (जेएसए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। कंपनी ने बताया कि इस सहयोग का उद्देश्य नगर निगम के ठोस अपशिष्ट फीडस्टॉक का उपयोग करके मापनीय, स्वदेशी एसएएफ उत्पादन तकनीकों का विकास करके भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था और कार्बन-मुक्ति लक्ष्यों को आगे बढ़ाना है।

 

कंपनी के मुताबिक इस समझौते पर एयरबस इंडिया और दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, जुर्गन वेस्टरमियर और जीएसवी के कुलपति, प्रो. (डॉ.) मनोज चौधरी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए, जिन्होंने इस पहल को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशनों के साथ संरेखित करने पर प्रकाश डाला। इस साझेदारी के तहत एयरबस उन्नत अनुसंधान एवं विकास उपकरण प्रदान करेगा, जीएसवी के समर्पित शोधकर्ताओं का समर्थन करेगा और कचरा संग्रहण के लिए अर्थ रक्षक फाउंडेशन के साथ सहयोग करेगा।

 

एयरबस के मुताबिक यह रणनीतिक साझेदारी दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते विमानन बाज़ारों में से एक के डीकार्बोनाइजेशन में तेज़ी लाने और भारत के सर्कुलर इकोनॉमी लक्ष्यों का समर्थन करने की एयरबस की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जेएसए को विशेष रूप से जीएसवी की शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता को एयरबस की वैश्विक उद्योग विशेषज्ञता के साथ जोड़कर, नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट फीडस्टॉक से एसएएफ उत्पादन के लिए स्केलेबल, स्वदेशी समाधान तैयार करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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