मास्को : भारत और रूस के बीच साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने मॉस्को में कई अहम बैठकें करएफटीए की प्रगति, व्यापार बढ़ाने के रास्ते, आपूर्ति व्यवस्था मजबूत करने, गैर शुल्क बाधाएं घटाने, प्रमाणन और भुगतान सिस्टम जैसी सभी प्रमुख चुनौतियों पर बात की और आगे की कार्ययोजना तय की।
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार राजेश अग्रवाल ने यूरोशियन इकोनॉमिक कमीशन के व्यापार मंत्री एंड्री स्लेपनेव के साथ बातचीत में एफटीए के अगले कदमों पर समीक्षा की। दोनों देशों के बीच इसी साल 20 अगस्त को तय हुए टर्म्स ऑफ रेफरेंस के आधार पर 18 महीने की जो कार्ययोजना बनायी गई थी, उसकी प्रगति पर चर्चा हुई। बैठक का मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों, मछुआरों और एमएसएमई को नए बाजार उपलब्ध कराना है। दोनों पक्ष आगे की बातचीत में सेवाओं और निवेश को भी शामिल करेंगे।
रूस के उद्योग और व्यापार उप मंत्री मिखाइल युरिन के साथ बैठक में व्यापार विविधीकरण बढ़ाने, महत्वपूर्ण खनिजों में साझेदारी करने और फार्मा, टेलीकॉम उपकरण, मशीनरी, चमड़ा, ऑटोमोबाइल और रसायन जैसे क्षेत्रों में तेजी से सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। साथ ही यह भी तय हुआ कि हर तिमाही प्रमाणन, कृषि और समुद्री उत्पादों की लिस्टिंग, बाजार में एकाधिकार रोकने और अन्य गैर शुल्क बाधाओं पर नियामक स्तर पर चर्चा की जाएगी। कंपनियों के लिए लॉजिस्टिक्स, भुगतान व्यवस्था और मानकों को आसान बनाने के उपायों पर भी बात हुई।
भारतीय और रूसी कंपनियों के साथ नेटवर्किंग सत्र में वाणिज्य सचिव ने कारोबारियों से कहा कि वे अपनी योजनाओं को 2030 के व्यापार लक्ष्य के अनुरूप तैयार करें। उन्होंने भारत में लॉजिस्टिक्स सुधार, डिजिटल पब्लिक सिस्टम और संयुक्त निवेश व उत्पादन के अवसरों पर भी जोर दिया। दोनों देशों ने यह भी माना कि आपूर्ति व्यवस्था को सुरक्षित करना, निर्यात बढ़ाना और बातचीत को ठोस समझौतों में बदलना आर्थिक विकास और रोजगार के लिए जरूरी है। —————
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