मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीएम की कुर्सी गंवाने के बाद भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सक्रिय बने हुए हैं। खुद को ‘कॉमन मैन ऑफ द मध्य प्रदेश’ घोषित कर चुके शिवराज सिंह चौहान शनिवार देर रात कड़कड़ाती सर्दी में राजधानी भोपाल की सड़कों पर आम जनता का हालचाल जानने निकले।
इसी दौरान पूर्व सीएम ने एक जगह अलाव ताप रहे आमजनों के साथ बैठकर बीतचीत की और उनकी समस्याओं को जाना। इसके साथ ही वह गरीब-बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रैन बसेरों में भी लोगों की कुशलक्षेम पूछने पहुंचे। सूबे के पूर्व मुखिया को इस तरह अपने बीच पाकर वहां आराम कर रहा मजबूर तबके के लोग गदगद हो गए।
शनिवार को जब कार्यकर्ताओं और समर्थकों से फुर्सत मिली तो शिवराज अपने काफिले के साथ भोपाल की सड़कों पर निकल पड़े। शिवराज की गाड़ियों का काफिला सबसे पहले पुराने भोपाल के सुल्तानिया अस्पताल के सामने बने रैन बसेरा पहुंचा। यहां शिवराज ने पहले तो बाहर अलाव के पास बैठे लोगों से बात की और उसका बाद रैन बसेरे में रात गुजारने वाले लोगों से मुलाकात की।
करीब 15 मिनट यहां रुकने के बाद शिवराज भोपाल के ही न्यू मार्केट इलाके में बने रैन बसेरे की ओर जाने लगे तो सुल्तानिया अस्पताल के बाहर एक शख्स ने उन्हें रोका और सेल्फी लेनी की जिद करने लगा। शिवराज ने उसे निराश भी नहीं किया। करीब 10 मिनट बाद शिवराज रात 10:30 बजे न्यू मार्केट स्थित रैनबसेरा पहुंचे और लोगों से व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। यहां रैनबसेरे में गुजारा करने वाले एक शख्स ने शिवराज को बताया कि वो बाहर से है और न्यू मार्केट में फुटपाथ पर सामान बेचता है और रात को यहीं रैनबसेरा में आकर सोता है।
रैनबसेरों में अपनापन, स्नेह और आशीर्वाद मिला
रैनबसेरों का दौरा करने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि वो व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं, क्योंकि रैन बसेरे में सबको जगह मिल रही है और सार्वजनिक जगहों पर अलाव भी जल रहे हैं। शिवराज ने कहा कि रैनबसेरों में जो प्रेम और स्नेह उन्हें मिला वो इससे खुश हैं। उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी और कहा कि रैनबसेरों में जो अपनापन, स्नेह और आशीर्वाद मिलता है, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। अद्भुत अविस्मरणीय प्रेम है आप लोगों का, इसके लिए हृदय से आभार’।
भोपाल समेत मध्यप्रदेश में कड़ाके की ठंड
दरअसल, मध्यप्रदेश में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है और ज्यादातर शहरों में तापमान 6 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। ठंड का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ता है, जिनके पास खुद की छत नहीं और ऐसे में सरकारी रैनबसेरा और जलता अलाव ही ठंड से बचने का उनका सहारा होता है। उत्तर भारत से आ रही शीतलहर के चलते मध्यप्रदेश में दिन और रात के न्यूनतम तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है।
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