ईवीएम-वीवीपैट मामले में 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब 8 अप्रैल को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के जवाब पर याचिकाकर्ताओं को अपना पक्ष रखने को कहा है. विपक्षी पार्टियों की याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था, जिसमें 50% VVPAT पर्चियों के EVM से मिलान की मांग को अव्यवहारिक बताया गया था. चुनाव आयोग ने कहा था कि हर विधानसभा सीट से एक बूथ के VVPAT-EVM मिलान की व्यवस्था सही है और इसमें कोई कमी नहीं पाई गई है.
आयोग ने कहा था कि 50% मिलान से नतीजे घोषित करने में 6-9 दिन का वक्त लगेगा. दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. विपक्ष के नेता चंद्रबाबू नायडू, अखिलेश यादव, के सी वेणुगोपाल, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, सतीश चंद्र मिश्रसमेत विपक्ष के 21 नेताओं ने याचिका दायर की थी. इस याचिका में EVM के ज़रिए होने वाले चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए 50 फीसदी तक VVPAT पर्चियों के EVM से मिलान की मांग की गई है.
इससे पहले मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें दोनों कांग्रेस नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव को पारदर्शिता बनाने को लेकर याचिका दायर की थी. याचिका में यह भी मांग की गई थी कि वोटर लिस्ट की जानकारी चुनाव आयोग कांग्रेस को टेक्स्ट मोड में दें. याचिका में दस फ़ीसद मतों को वीवीपैट से मिलान कराने की भी मांग की गई थी. इसके अलावा मतदाता सूची में बड़ी संख्या मे फ़र्ज़ी मतदाता होने की बात कही गई थी.
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