लोकसभा चुनाव से आठ महीने पहले जब एनआरसी का ड्राफ्ट जारी हुआ, तब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसकी जोरदार वकालत करते थे. वह बांग्लादेशी घुसपैठियों पर खासे मुखर थे. संसद के अंदर से लेकर बाहर बांग्लादेशी घुसपैठियों को ‘दीमक’ संबोधित करते हुए अमित शाह कहते थे- देश भर में पता लगाकर घुसपैठियों को वापस भेजेंगे.

अमित शाह उस वक्त असम ही नहीं देश के सभी राज्यों के लिए एनआरसी तैयार करने की बात कहते थे. उनके कई सहयोगियों ने भी ऐसी ही मांग उठाई.
अब 31 अगस्त को जारी हुए एनआरसी की अंतिम सूची के बाद से मौजूदा वक्त में गृह मंत्री अमित शाह खामोश हैं. जबकि उनके भरोसेमंद और असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा खुले तौर पर एनआरसी तैयार करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं. हेमंत ने अवैध प्रवासियों का पता लगाने के लिए नए तरीके तलाशने की वकालत की है. उन्होंने यह भी कहा,” सीमा पुलिस के पास संदिग्ध दस्तावेजों और नागरिकता की जांच करने का अधिकार है और यह जारी रहेगा.”
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