सुप्रीम कोर्ट द्वारा संसद के निलंबन को गैर कानूनी बताए जाने के बाद दो महीने पुरानी बोरिस जॉनसन Boris Johnson सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। उधर, कोर्ट के फैसले के बाद बुधवार को संसद की बैठक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके चलते जॉनसन ने अमेरिका दौरा बीच में खत्म करके वापस लौट आए हैं। हालांकि, अभी भी ब्रिटेन का यह संवैधानिक संकट टला नहीं है। ब्रिटेन: बैकफुट पर PM जॉनसन, संसद की बैठक की प्रक्रिया शुरू, संकट बरकरार
बेक्जिट मामले में जॉनसन के विरोध में सत्ता दल के कुछ सदस्य
बिना शर्त बेक्जिट पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर जॉनसन की सरकार को अपनी ही पार्टी का विरोध झेलना पड़ रहा है। मतदान के दौरान सरकार अपना मामूली बहुमत भी गंवा चुकी है। सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के 21 सांसद इस प्रस्ताव पर पार्टी और सरकार के साथ नहीं हैं। मतदान के दौरान वह विपक्ष से खड़ रहे। हालांकि प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करकने वाले 21 सांसदों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है।
देश में चुनाव कराने का विकल्प
बहुमत खो चुके प्रधानमंत्री जॉनसन के समक्ष 31 अक्टूबर से पहले देश में चुनाव करवाने का प्रस्ताव रखा है। बहुमत खो जाने के बाद जॉनसन ने इस्तीफा से इंकार कर दिया है। उनकी कोशिश है कि 31 अक्टूबर तक बेक्जिट की प्रक्रिया पूरी हो जाए। लेकिन विपक्षी दल लेबर पार्टी के नेता जर्मी कार्बिन ने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता बिना शर्त ब्रेक्जिट को रोकना है।
आखिर क्या है मामला
ब्रेक्जिट मसले पर जूझ रहे ब्रिटेन की संसद पांच हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया था । दरअसल, जॉनसन की सिफारिश पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने संसद को पांच हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया था। इस फैसले का विपक्ष के साथ यह सत्ता पक्ष ने भी विरोध किया था। प्रधानमंत्री के इस फैसले को लेकर भारतीय मूल के ब्रेक्जिट विरोधी जीना मिलर ने ब्रिटेन के हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनके मामले को बाद में सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया।
ब्रिटेन की शीर्ष अदालत ने भारतवंशी की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इस इसे असंवैधानिक बताया। सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष ब्रेंडा हेल ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि ससंद को निलंबित करने के लिए महरानी को सुझाव देने वाला फैसला गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला 11 न्यायधीशों ने सर्वसम्मिति से लिया गया है।
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