संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने इमरान खान को दी नसीहत
मानवाधिकार की बात करने से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की स्थिति देखिए
न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के आरोपों का जोरदार जबाव दिया है । जवाब देने के अधिकार (राइट टू रिप्लाई) का प्रयोग करते हुए सुयंक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा कि इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग किया। इमरान खान का भाषण नफरत से भरा है। उन्होंने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए कहा कि क्या पाकिस्तान इस बात को स्वीकार करेगा कि वो दुनिया का एकमात्र देश है जो ऐसे व्यक्ति को पेंशन देता है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अल कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकियों की सूची में रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान को मानवाधिकार की चिंता करने से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की हालत देखनी चाहिए जिनकी संख्या 23 प्रतिशत से तीन प्रतिशत पर पहुंच गई है। पाकिस्तान को इतिहास नहीं भूलना चाहिए और याद रखना चाहिए कि 1971 में उन्होंने अपने लोगों के साथ क्या किया। उन्होंने कहा कि क्या इमरान खान न्यूयॉर्क को ये बात बताना नहीं चाहेंगे कि वे ओसामा बिन लादेन का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं। विदिशा मैत्रा ने कहा, इमरान खान जिस तरह से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देते हैं वह एक राजनेता का व्यवहार नहीं है, बल्कि एक छोटे नेता का व्यवहार है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए कहा कि क्या पाकिस्तान इस बात से इंकार कर सकता है कि आज संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए गए 130 लोग उसके देश में रहते हैं।
क्या पाकिस्तान इससे भी इंकार कर सकता है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित 25 आतंकी संगठनों का ठिकाना पाकिस्तान है। पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार का मुद्दा उठाने पर भारत ने फटकार लगाते हुए कहा कि एक ऐसा देश जो आतंकवाद और नफरत को मुख्यधारा में शामिल कर चुका है वो अब मानवाधिकारों का चैम्पियन बनकर अपना वाइल्ड कार्ड इस्तेमाल करना चाहता है। विदिशा मैत्रा ने इमरान खान को नियाजी संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को समझना चाहिए कि आज के लोकतंत्र में नरसंहार की कोई जगह नहीं है। इमरान खान को इतिहास की धुंधली समझ को थोड़ा स्पष्ट करना चाहिए। मैत्रा ने कहा कि पाकिस्तान को 1971 की घटनाएं नहीं भूलनी चाहिए जब लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने बांग्लादेश में अपने ही नागरिकों पर जुल्म ढाया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1971 में बांग्लादेश युद्ध में जनरल नियाजी ने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारत के सामने घुटने टेक दिए थे।
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