हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर की बहुत ही फिल्मी सियासी कहानी है. पहला चुनाव लड़े और फिर मुख्यमंत्री बन गये. लाइम लाइट से दूर रहने वाले खट्टर पर पूरे देश की नजर है. लोकतंत्र में चुनाव को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है औैर इस पर्व में मुद्दे इसकी उमंग को बढ़ाते हैं. सियासत के कायदे वही हैं जो लोकतंत्र को रास्ता दिखाए. मनोहर लाल खट्टर ने अपनी स्याही से जो हरियाणा का भविष्य गढ़ा है, अब जनता से उसकी मुहर का वक्त करीब आ गया है. हरियाणा में वंशवाद की बेल के बीच मनोहर लाल खट्टर वंशवाद के आरोप से मुक्त हैं. अक्सर चुनावी पर्व के दौरान ये कहा जाता है कि सियासत में परिवारवाद ने लोकतंत्र को सामंती बना दिया है.

डेढ दशक से अधिक आरएसएस का प्रचारक रहने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने बीजेपी ज्वाइन की थी. बीजेपी से जुड़ने के 20 साल बाद उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा. 2014 में लोकसभा चुनाव की जीत से जो मोदी लहर का आगाज हुआ था उसकी वजह से बीजेपी हरियाणा में पहली बार विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने में कामयाब रही. 2014 में हरियाणा में कैप्टन अभिमन्यू, रामबिलास शर्मा, अनिल विज, कृष्ण पाल बड़े चेहरों के बजाए बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए मनोहर लाल खट्टर को राज्य का सीएम बनाया. मनोहर लाल खट्टर बीजेपी का सरप्राइज पैकेज इसलिए थे क्योंकि 2014 में ही उन्होंने अपनी जिंदगी का पहला चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की.
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