हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न होते ही मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। भाजपा चाहती है कि विस्तार के जरिए जदयू को मंत्रिमंडल में शामिल कर बिहार में दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने के कयासों पर पूर्ण विराम लगा दिया जाए। अगर बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ी तो अगले महीने शुरू होने वाले शीत सत्र से पहले या दिसंबर में झारखंड विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी मिल सकती है।

सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक विस्तार के संदर्भ में चर्चा फिलहाल प्रारंभिक स्तर पर है। ऐसे में विस्तार तत्काल होगा या झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद, कहना मुश्किल है। हालांकि सच्चाई यह है कि मंत्रिमंडल में संख्या बढ़ाने की जरूरत के साथ ही सहयोगियों को साधे रखने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों में सचिवों के स्तर पर फेरबदल के बाद ऐसे मंत्रालयों में अनुभवी और ऊर्जावान चेहरों को दायित्व देने की भी जरूरत महसूस की जा रही है।
निकट भविष्य में पार्टी बिहार के सीएम नीतीश कुमार और शिवसेना नेतृत्व से इस संदर्भ में बात कर सकती है। गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भाजपा को सहयोगियों से विस्तृत संवाद का मौका नहीं मिला। इस कारण कुछ बिंदुओं मतभेद के चलते जदयू ने सरकार में शामिल होने से दूरी बनाई तो शिवसेना के लिए एक और राज्य मंत्री पद पर फैसला नहीं लिया जा सका। इसी कारण तमिलनाडु में राजग की नई सहयोगी अन्नाद्रमुक के साथ अपना दल का भी सरकार में प्रतिनिधित्व तय नहीं हो पाया। तभी तय हुआ था कि निकट भविष्य में एक विस्तार के जरिये इन कमियों को दूर कर लिया जाएगा। अब जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव संपन्न हो चुके हैं, तब विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हुई है।
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