गंगा का जल मार्ग अब समृद्ध होने लगा है। विदेशी सैलानियों को लेकर पांडवा क्रूज बुधवार को कलेक्टर घाट पर एक बार फिर हाजिर था। यहां से उतरकर सैलानी सड़क मार्ग से लार्ड कार्नवालिस के मकबरा पहुंचे। जी भर कर दीदार किया और फोटोग्राफी भी। यहां अपने देश की मिट्टी व खून की निशानी देख वह भावुक व रोमांचित थे। यहां बार-बार आने की इच्छा व्यक्त की। वहीं गुरुवार की दोपहर में सैलानियों को लेकर क्रूज वाराणसी पहुंचा और यात्रियों ने काशी में भी भ्रमण कर यहां के प्राचीन इतिहास से रूबरु हुए। 
इससे पूर्व गाजीपुर में हर बार विदेश सैलानियों को लेकर राजमहल क्रूज आया करता था। इस बार पांडवा की बारी थी, जिस पर सवार होकर इंग्लैंड के दो दर्जन सैलानी कोलकाता से पटना, बक्सर व गाजीपुर होते हुए वाराणसी तक की यात्रा पर निकले हैं। घाट के पास पानी कम होने से क्रूज एकदम किनारे नहीं आ पाया। ऐसे में सैलानियों को घाट तक लाने के लिए एक स्टीमर का सहारा लिया गया। घाट पर उतरते ही स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया जिससे वह काफी अभिभूत दिखे। यहां से वह सड़क मार्ग से सीधे लार्ड कार्नवालिस पहुंचे। उन्होंने यह अहसास किया कि देश की इस मिट्टी में अपने देश का खून व निशानी दफन है।
काफी देर तक मकबरे को निहारते रहे और उसे छू-छूकर देख रहे थे। इसकी नक्काशी की उन्होंने तारीफ की और खूब फोटो खिंचवाए। पार्क में टहलते रहे। लाइजनिंग अधिकारी विश्वजीत ने उन्हें गाजीपुर की संस्कृति व मकबरे के इतिहास के बारे में जानकारी दी। लगभग आधा घंटा समय बिताने के बाद सैलानी वापस कलेक्टर घाट पहुंचे और फिर वाराणसी की ओर चल पड़े। समय कम होने के चलते सैलानी इस बार शहर का भ्रमण नहीं किए।
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