लखनऊ : मंगलवार 26 मई को गुरुद्वारा याहियागंज में सिक्खों के पांचवे गुरु गुरु अर्जन देवजी का शहीदी पर्व बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। प्रात 5:00 बजे से सुखमनी साहिब के पाठ आरंभ हुए एवं 6:30 बजे 40 दिन से चल रहे सुखमनी साहिब जी के लड़ीवार पाठों की समाप्ति हुई। उपरांत हजूरी रागी भाई गुरमीत सिंह एवं भाई रविंदर सिंह राजा ने शबद कीर्तन किया। गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया संपूर्ण समागम का ऑनलाइन प्रसारण किया गया। रातभर गुरुद्वारा साहिब में लंगर तैयार किया गया। प्रातः से लखनऊ में चार सेंटर द्वारा चंदर नगर आलमबाग, एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड, ऐशबाग, आर्य नगर नाका हिंडोला सभी संगतों को घर में लंगर पहुंचाने का प्रबंध किया गया था। इसके अलावा गुरुद्वारा साहिब की गाड़ियों द्वारा पूरे शहर में कच्ची लस्सी का लंगर एवं लंगर वितरित किया गया। लॉकडाउन के दिन से ही गुरुद्वारा साहिब से हजारों की संख्या में रोटियां एवं सूखे राशन के पैकेट की सेवा निरंतर जारी है।
गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने ऑनलाइन सभी संगतो को घर में रहकर सरबत के भले के लिए अरदास करने की विनती की। डॉ गुरमीत सिंह ने कहा कि करोना वायरस महामारी के चलते उत्पन्न संकट की इस घड़ी में शासन, प्रशासन के अधिकारी, कर्मचारी और पुलिसकर्मी जिस तरह से अपने प्राणों की बाजी लगाकर आम जनता की सेवा और सहायता कर रहे हैं। वह अपने आप में अभूतपूर्व है इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कर्तव्य निर्वाहन में लगे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को यहियागंज गुरुद्वारा समिति की ओर से हार्दिक धन्यवाद साथ ही गुरुद्वारा समिति के सभी लोग एवं समस्त सिख समुदाय स्वेच्छा से संकट की इस घड़ी में अपनी सेवा एवं सहायता देने को पूरी तरह से तैयार है। गुरु अर्जन देव जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए हेड ग्रंथी ज्ञानी परमजीत सिंह ने कहा जहांगीर ने 1606 में गुरु अर्जन देव जी को यासा के नियम के तहत शहीद करने का फरमान जारी किया था (यासा में शहीद के खून की बूंद जमीन पर नहीं गिरती) गुरुजी को गर्म तवे पर बैठाकर शहीद किया गया।
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