भगवान न करे कि कोई कोरोना संक्रमण की चपेट में आए। लेकिन तेजी से फैलते इस संक्रमण की गिरफ्त में आकर अगर कोई सरकारी अस्पताल की बजाय निजी अस्पताल में इलाज कराना चाहता हैं तो जरा संभल कर ही वहां जाएं। क्योंकि कहीं ऐसा ना हो, आपको निजी अस्पतालों में इलाज कराना ज्यादा ही भारी पड़ जाए।
मध्यप्रदेश के जबलपुर के निजी अस्पतालों ने जो दरें कोरोना इलाज के नाम पर तय की हैं, वह किसी के लिए भी बहुत ज्यादा हैं। इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि जिला प्रशासन ने इसके लिए अपनी सहमति भी दे दी है। अगर इनकी रेट लिस्ट को देखा जाए तो लगेगा कि मानों अस्पताल में इलाज कराने नहीं, बल्कि किसी फाइव स्टार होटल में रहने जा रहे हों।
प्रतिदिन इतना देना होगा चार्ज
जबलपुर में कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पताल में जनरल वार्ड में बेड लेना पड़े तो उसके प्रतिदिन 8000 रुपए देने होंगे। वहीं अगर सेमी प्राइवेट रूम लेना चाहते है तो इसके लिए प्रतिदिन 11000 रुपए देने होंगे। अगर प्राइवेट रूम लेना हैं तो उसके लिए 15000 रुपए प्रतिदिन और अगर नौबत आईसीयू तक आ गई तो उसका खर्च प्रतिदिन 20000 भुगतना होगा।
फाइव स्टार होटल से भी महंगा नाश्ता और खाना
अगर आपको यहां से नाश्ता और खाना लेना पड़ता है तो मानो पांच सितारा होटल से भी महंगा है। इसी के साथ डॉक्टरों की फीस भी इतनी ज्यादा है कि वह भी आपके होश उड़ा दे।
संभाग के आयुक्त ने जताई हैरानी
इस पूरे मामले पर संभाग के आयुक्त महेश चंद्र चैधरी ने हैरानी जताते हुए कहा है कि वे इस मसले पर सरकार को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों में इलाज के लिए दरों में नियंत्रण के लिए गाइडलाइन की मांग करेंगे। ताकि निजी अस्पतालों के इस प्रकार से बेजा वसूली पर रोक लगाई जा सके।
जिला प्रशासन ने आखिर क्यों दी सहमति
जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने निजी अस्पताल संचालकों के साथ बैठक के दौरान कोरोना इलाज के लिए तय दरों पर इसकी सहमति जारी करते हुए बकायदा इसे सार्वजनिक भी कर दिया। ऐसे में आम जनता भी बेहद हैरान है।
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