लखनऊ : डॉ.प्रेम नाथ बाजपेई श्री जय नारायण परास्नातक विद्यालय (कान्यकुब्ज कॉलेज), लखनऊ में आंग्ल भाषा के विभागाध्यक्ष पद से 2002 में सेवा निवृत्त हुए थे। इससे पहले 2001 में क्लॉन्स की बीमारी से पीड़ित होने पर लखनऊ के एसजीपीजीआई में ऑपरेशन करके उनकी लगभग 75 फीसदी आतें काट दी गईं। इसके बावजूद प्रबल इच्छा शक्ति से न केवल स्वस्थ हुए अपितु 2003 से 2009 तक गोला गोकरननाथ में एक प्रमुख शिक्षण संस्थान की सलाहकार समिति में रह कर अपने सुझावों एवं विचारों से संस्थान को बहुत आगे ले गए। वर्ष 2013 से 2017 के मध्य बाएं पैर में 3 फ्रैक्चर हुए मगर अपनी इच्छा शक्ति के बल पर जीवन को शानदार ढंग से जिया।
हालांकि 2017 के बाद से वो पूरी तरह शैयाबद्ध हो गये थे, इसके बावजूद जीवन के प्रति उनका दृष्टकोण बहुत उत्साहवर्धक और सकारात्मक था। बहुत से लोग राणा सांगा के साथ उनकी तुलना करते थे। बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि उनका बचपन अत्यधिक संघर्षों में बीता था। बाल्यकाल की ही बात है एक ज्योतिषी ने बताया था, विद्या तो है नहीं इस बालक के भाग्य में, ज्यादा पढ लिख नहीं पायेगा लेकिन कर्मठता के प्रतिरूप डॉ.प्रेम नाथ बाजपेई ईश्वरीय विधान को परिवर्तित कर उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर आंग्ल भाषा के प्रकांड विद्वान बने। उनके बहुत से छात्र और छात्राएं आज देश- विदेश में बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर रहे हैं। उन्होंने अपने पूर्वजों से जो विरासत में पाया उसमें बहुत कुछ जोड़ा, और अंत में 24 नवंबर 2020 को 80 वर्ष की आयु पूरी करके इस संसार से विदा हो गए है।
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