लखनऊ। कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के साथ प्रदेश में अब ट्यूबरक्लोसिस को हराने के लिए लड़ाई शुरू हो गई है। इसके लिए अभियान चलाकर मरीजों की खोज व इलाज किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने शुक्रवार को बताया कि इस अभियान के दौरान एक्टिव केस फाइंडिंग की जाएगी। शुरुआत में 01 जनवरी तक कारागारों, वृद्ध आश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह आदि स्थानों, जहां लोग एक दूसरे के करीब और सम्पर्क में रहते हैं, वहां टीबी के नमूने लिए जाएंगे। इन स्थानों पर कोरोना के नमूने भी एकत्र किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके बाद 02 जनवरी से प्रदेश में एक्टिव केस फाइंडिंग के अभियान के दौरान आशा वर्कर, एएनएम आदि के जरिए घर-घर जाकर लोगों की जांच पड़ताल की जाएगी। इस दौरान लक्षण मिलने पर लोगों के सैम्पल लिए जाएंगे।
प्रदेश सरकार के मुताबिक अभियान का मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों तक क्षय रोग की उपलब्ध सुविधाओं को पहुंचाने के साथ ही अधिक से अधिक सक्रिय टीबी के छुपे हुए मरीजों खोजकर इलाज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है। चिकित्सकों के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसते समय खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल अपने बलगम की जांच कराए। क्षय रोगियों की जांच एवं उपचार पूर्णतया नि:शुल्क उपलब्ध है।
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