हेमंत तिवारी के दावे को गलत साबित कर आमसभा में सम्मिलित कथित डेढ़ सौ से अधिक पत्रकारों की फेरिस्त हो सकती है जारी
-नवेद शिकोह
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कुछ राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों और यूपी राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त समिति में तकरार बढ़ती जा रही है। असंतुष्ट पत्रकारों ने समिति को चुनौती देते हुए आम सभा बुलाकर चुनाव की रूपरेखा का कच्चा खाका तैयार कर लिया। जबकि आम सभा बुलाने का अधिकार समिति को होता है। कार्यकाल समाप्त होने के बाद किसी ना किसी बहाने चुनाव टालने का आरोप लगाते हुए एनेक्सी मीडिया सेंटर में कुछ पत्रकारों ने आज आम सभा की थी। संवाददाता समिति के कार्यप्रणाली और रवैयों से असंतुष्ट पत्रकारों ने आम सभा बुलाकर समिति को चुनौती दी तो समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने अपने बयान मे कहा कि हमारे खिलाफ पांच प्रतिशत पत्रकार भी इकट्ठा नहीं हुए। जिसका अर्थ है कि 95 फीसद राज्य मुख्यालय के मान्यता प्राप्त पत्रकारों ने समिति के पदाधिकारियों, कार्यकारिणी और हमारी कार्यप्रणाली पर विश्वास जताया है। श्री तिवारी का दावा है कि लगभग एक हजार पत्रकारों में पचास पत्रकार भी समिति के अधिकारों के खिलाफ इकट्ठा नहीं हो सके। जबकि बीस-तीस पत्रकारों की मौजूदगी तो हर रोज एनेक्सी में नजर आती है।
दूसरी तरफ बैठक में शरीक असंतुष्ट कई पत्रकारों का दावा है कि करीब डेढ़ सौ से अधिक पत्रकार एनेक्सी में आयोजित आमसभा में सम्मलित हुए। हेमंत तिवारी के दावे को गलत साबित करते हुए आमसभा में शरीक डेढ़ सौ से अधिक पत्रकारों की लिस्ट जारी हो सकती है। बता दें कि अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने पूर्व में कहा था कि समिति के चुनाव से पहले यूपी प्रेस क्लब का चुनाव हों और समस्त मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रेस क्लब की सदस्यता दी जाए। इसके बाद चुनाव टलने का बहाना कोविड बनता रहा। चुनाव घोषित करने में हीलाहवाली से नाराज पत्रकारों के गुट के साथ पहले तो एक-दो पदाधिकारी भी नजर आये किंतु समिति के नेतृत्व ने सबको एकजुट करने में सफलता हासिल कर ली। फिर भी समिति के एक कार्यकारिणी सदस्य असंतुष्टों की आमसभा में नजर आए। इसके अतिरिक्त अजय कुमार, सुरेंद्र दुबे, मसुदुल हसन और वीरेंद्र सक्सेना जैसे चार-पांच वरिष्ठ और प्रतिष्ठित पत्रकारों की उपस्थिति ने इस आमसभा की गंभीरता में वजन पैदा किया।
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