पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के बीच सरकार पर आम जनता को निचोड़ने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने 10 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. अब सवाल उठता है कि यदि बीजेपी की जगह कांग्रेस सत्ता में होती तो पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़े दामों को कम करने के लिए क्या करती? इसका जवाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कुछ समय पहले दिया था.
पी चिदंबरम ने पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंदर लाने की वकालत की थी. उन्होंने कहा, ‘अगर आप पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाते हैं, तो कीमतें कम होंगी.’ इसी आधार पर कांग्रेस की मांग है कि मौजूदा बाजार के परिप्रेक्ष्य में यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए तो तेल के दाम 15 से 18 रुपये तक गिर सकते हैं.
इसके साथ ही पी चिदंबरम ने कुछ समय पहले यह भी कहा था कि क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट आने से केंद्र सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर 15 रुपये बचा रही है. इसके अलावा सरकार की तरफ से एक लीटर पेट्रोल पर 10 रुपये का अतिरिक्त टैक्स लगाया जा रहा है. इस तरह दोनों को मिलाकर पेट्रोल की कीमत पर 25 रुपये प्रति लीटर तक की राहत आम आदमी को दी जा सकती है.
पेट्रोल-डीजल के दाम
देश की राजधानी दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल की कीमत 80.73 रुपए प्रति लीटर है. वहीं, डीजल के दाम 72.83 रुपए प्रति लीटर हो गए. देश में सबसे महंगा पेट्रोल मुंबई में है, जहां इसके दाम 88.12 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. वहीं, मुंबई में डीजल की कीमतें 77.32 रुपए प्रति लीटर हो गईं.
क्रूड के दाम में तेजी
हालांकि जब चिदंबरम ने 25 रुपये में गिरावट की बात कही थी, उस वक्त कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट थी लेकिन उसके बावजूद तेल के दाम कम नहीं हुए. अब पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. कीमतों में 7 डॉलर प्रति बैरल की तेजी आ चुकी है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से स्थितियां और बिगड़ने के आसार हैं. दरअसल, ईरान के तेल निर्यात में कमी देखने को मिली है, जिसकी वजह से तेल की कीमतों में उछाल आया है. वहीं, पश्चिम एशिया में भी तनाव की वजह से क्रूड के दाम उछाल पर हैं. इसके अलावा सऊदी अरब ने यमन में जंग छेड़ी हुई है. इन अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को तेल के बढ़ते दामों की प्रमुख वजहों में शुमार किया जा रहा है.
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