गुरु दर्शन कर शिष्यों ने लिया आशीर्वाद, तिलक कर की चरण वंदना

दर्शन पाकर भक्त हुए निहाल, दूरियां बनाकर की गुरु आरती व पूजन
गुरु का जीवन ही शिष्य का आदर्श बनता है: स्वामी सरनानंदजी महराज

सुरेश गांधी

वाराणसी। समाज में आदि काल से ही गुरु की महत्ता रही है। तब से ही हम गुरु की पूजा करते चले आ रहे है। गुरु के बिना ज्ञान पाना संभव नहीं है। शनिवार को गुरु के वंदन का पर्व गुरु पूर्णिमा पर विभिन्न संस्थाओं ने अपने- अपने तरीके से गुरुओं को सम्मान दिया। किसी ने गुरु को सम्मानित कर अपने धर्म का पालन किया, तो किसी ने पौधा लगाया। शहर से लेकर देहात तक पूरे दिन पूर्णिमा की धूम रही। अलसुबह से ही लोग अपने-अपने गुरुजनों के दरबार पहुंचना शुरु हो गए, तो सिलसिला देर रात तक चला। आश्रमों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने अपने गुरुओं की पाद पूजा वंदना के साथ की। गुरु के मस्तक पर तिलकार्चन किया। इसके बाद गुरु को माला पहनाने, दक्षिणा देने के बाद शीश झुकाकर जीवन में आगे बढ़ने और सफलता का आर्शीवाद लिया।

गढ़वाघाट आश्रम में स्वामी सरनानंद जी महराज के दर्शन के लिए दो गज की दूरी व मास्क लगाएं भक्तों ने स्वामी का दर्शन-पूजन व आरती की। भक्तों ने गोशाला में जाकर गायों को गुड़ और चारा खिलाकर पुण्य की कामना की। पर्व पर लोगों ने गुरु की आराधना और वंदना कर सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान स्वामी सरनानंद जी महराज ने कहा कि भावातित ध्यान वर्तमान समय में गुरु के द्वारा दिया गया सर्वोत्तम एक ऐसा साधन है जिसको अपनाने से हम सभी न सिर्फ स्वयं को स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते है बल्कि इसको अपनाने से अपने चारों ओर के वातावरण में सदोगुणी चेतना का विस्तार कर सभी जनमानस के कल्याण में भी अहम् योगदान दे सकते है। उन्होंने सभी नगरवासियों से इसे अपने का आह्वान करते हुए कहा कि गुरु का दर्जा एक शिष्य के लिए महापुरुष की तरह है, जो अपने आध्यामिक ज्ञान और शिक्षा से मार्गदर्शन करते है। शिष्य गुरु से जीवन का सीख लेकर आगे बढ़ते है।

बता दें, घरों से लेकर मंदिरों तक गुरु पर्व पर विशेष पूजा-अर्चना की गई। सुबह से ही मंदिरों, गुरुद्वारों व आश्रमों में चहल-पहल बनी रही। साफ-सफाई के बाद मंदिरों को फूल-माला से सजाया गया। वहीं भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया। शिष्यों ने अपने गुरुओं को आसन प्रदान कर श्रद्धानुसार उनकी पूजा-अर्चना की और आशीर्वाद ग्रहण किया। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी शिष्यों ने गुरुओं का आशीर्वचन लिया। सेनपुरा स्थित अघोर मोक्ष का द्वार में श्री जय नारायण सत्संग मण्डली ट्रस्ट में गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में पीठ महंत बाबा लालबाबू ने पूजन किया। पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी आश्रम, रवींद्रपुरी स्थित कीनाराम आश्रम, गढ़वाघाट और अघोरपीठ सेनपुरा चेतगंज तक में आयोजनों का सिलसिला सूर्योदय के साथ शुरू हुआ तो गुरु चरणों की रज लेने के लिए श्रद्धालुओं का तांता कोरोना संक्रमण काल के दौर में भी काशी में उमड़ पड़ा। यह दिन गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह बेहद खास माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत पूजा का भी बड़ा महत्व है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com